रायपुर, 01 अगस्त 2024: छत्तीसगढ़ नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल द्वारा जारी आदेश में गंभीर अनियमितताओं की आशंका जताई जा रही है। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, सत्र 2024-25 के लिए विभिन्न नर्सिंग संस्थानों को मान्यता देने में भारतीय उपचर्या परिषद (I.N.C.) के नियमों का उल्लंघन किया गया है।
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नियमों को किया गया नजरअंदाज
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कई संस्थानों को नवीन प्रस्ताव, सीट वृद्धि, उन्नयन एवं नवीनीकरण की अनुमति दी गई है, जबकि ये संस्थान भारतीय उपचर्या परिषद, नई दिल्ली के निर्धारित मापदंड के क्षेत्र में नहीं आते। इसके बावजूद इन्हें मान्यता देने का निर्णय लिया गया, जिससे संदेह उत्पन्न हो रहा है कि यह फैसला किसी आर्थिक लेन-देन के आधार पर किया गया है।
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बिना अस्पताल के संस्थानों को मिली सीटें
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के लिए आवश्यक है कि उनके पास निर्धारित संख्या में बिस्तर वाला अस्पताल हो। नियम के अनुसार, 90 सीट वाले संस्थान के पास 270 बिस्तर का अपना अस्पताल होना अनिवार्य है। लेकिन कई ऐसे संस्थानों को मान्यता दी गई है जिनके पास यह सुविधा नहीं है।
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भ्रष्टाचार का आरोप, शासन से जांच की मांग
विभिन्न सूत्रों के अनुसार, निरीक्षणकर्ता अधिकारी द्वारा गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और कोर कमेटी ने इसे बिना उचित समीक्षा के स्वीकार कर लिया। इस मामले में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। आरोप है कि सीट आवंटन के लिए संस्थानों से रिश्वत ली गई, जिससे योग्य और नियमों का पालन करने वाले संस्थानों के साथ अन्याय हुआ है।
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हाईकोर्ट में जनहित याचिका की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, इस आदेश को निरस्त करने की मांग की जा रही है। यदि शासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो जल्द ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी। इसके अलावा, यह भी जांच करने की आवश्यकता बताई जा रही है कि यह गड़बड़ी कितने वर्षों से चल रही है और किन-किन अधिकारियों ने इसमें लाभ लिया है।
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
छत्तीसगढ़ के नर्सिंग छात्रों और उनके अभिभावकों में इस फैसले को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि इस तरह की अनियमितताओं से उनकी शिक्षा और भविष्य प्रभावित हो सकता है। अगर गलत तरीके से सीटें आवंटित की गई हैं, तो छात्रों को मान्यता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनका करियर खतरे में पड़ सकता है।
शासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए
इस पूरे प्रकरण को लेकर शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने शासन से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। यदि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह नर्सिंग शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के इस आदेश पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सीटों के आवंटन में भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन के आरोप सामने आए हैं। यदि शासन ने जल्द कदम नहीं उठाए तो इस मामले में न्यायालय की शरण ली जाएगी।
अगले अंक में उन संस्थानों का विस्तृत जानकारी प्रसारित कि जाएगी, यदि काउंसिल अपने आदेश को निरस्त नहीं करतीं है एवं दोषियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही नहीं करतीं है ।