धरमजयगढ़ (वन मंडल)।
धरमजयगढ़ वन मंडल के वन मंडलाधिकारी अभिषेक जोगावत IFS पर सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दायर आवेदनों की सुनवाई में मनमाने तरीके अपनाने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि श्री जोगावत ने साफ तौर पर कहा कि “हम अपनी व्यवस्था से काम करेंगे, आपको जब बुलाएँगे तब आना होगा, अन्यथा आवेदन ही न करें।” इस कथित ‘दादागिरी’ ने RTI आवेदकों को खासा परेशान कर दिया है।

क्या है पूरा मामला
- बार-बार अलग-अलग तिथियों में बुलाने का आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक ही विषय से संबंधित कई RTI आवेदन दायर किए थे। इसके जवाब में वन मंडलाधिकारी ने प्रत्येक अपील के लिए अलग-अलग तिथियाँ तय कीं, जिससे आवेदक को बार-बार धरमजयगढ़ आना पड़े। आवेदक के मुताबिक, वह दुर्गा (एक अन्य स्थान) का निवासी है और बार-बार आना संभव नहीं है। जब आवेदक ने एक ही दिन में सभी अपीलों की सुनवाई की गुहार लगाई, तो अधिकारी ने कथित तौर पर मना कर दिया। - दूरभाष पर हुई बातचीत
आवेदक के अनुसार, फोन पर बातचीत के दौरान वन मंडलाधिकारी ने कहा कि “हम अपनी व्यवस्था से काम करेंगे। जब बुलाएँगे, तब आना होगा। नहीं आ सकते तो आवेदन करना छोड़ दीजिए।” आवेदक का आरोप है कि यह बयान साफ दर्शाता है कि अधिकारी आवेदकों को परेशान करने की रणनीति अपना रहे हैं। - आवेदक की अनुपस्थिति में अपील खारिज
आवेदक का कहना है कि बार-बार अलग-अलग तिथियों पर आने में असमर्थता जताने के बावजूद अधिकारी ने अपील की सुनवाई रखी और अनुपस्थिति का हवाला देकर अपीलों को खारिज कर दिया। इससे यह संदेह गहरा होता है कि RTI के माध्यम से उठाए जाने वाले सवालों को दबाने की कोशिश हो रही है।
भ्रष्टाचार को दबाने का आरोप





शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि धरमजयगढ़ वन मंडल में कई प्रकरणों में भ्रष्टाचार की संभावना है। इन प्रकरणों की जानकारी RTI के माध्यम से माँगी गई थी, लेकिन अधिकारी द्वारा नियमों के विपरीत कार्रवाई कर आवेदनों को खारिज किया गया। आवेदक का मानना है कि यह सब भ्रष्टाचार को उजागर होने से रोकने के लिए किया जा रहा है।
सूचना के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन?
RTI अधिनियम, 2005 के अनुसार, किसी भी अपील का निपटारा गुण-दोष के आधार पर किया जाना चाहिए। आवेदक उपस्थित हो या न हो, अपील अधिकारी को उपलब्ध तथ्यों के आधार पर फैसला लेना होता है। शिकायतकर्ता का कहना है कि वन मंडलाधिकारी ने इन प्रावधानों की अनदेखी की है, जो कि अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।
शासन-प्रशासन पर उठे सवाल

- वन मंडलाधिकारी की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न
एक IFS अधिकारी होने के नाते श्री जोगावत से RTI के नियमों की बेहतर समझ और पालन की उम्मीद की जाती है। लेकिन आवेदकों के आरोपों के बाद उनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। - प्रशासन और सरकार की जवाबदेही
शिकायतकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि ऐसे अधिकारी को ज़िले में तैनात क्यों रखा गया है। यदि वे नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, तो उच्च अधिकारियों या संबंधित विभाग को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। - मंत्री से कार्रवाई की माँग
शिकायतकर्ताओं ने माननीय मंत्री केदार कश्यप जी से अपील की है कि वे इस मामले का संज्ञान लें और अभिषेक जोगावत IFS को मैदानी क्षेत्र से हटाकर मुख्यालय में अटैच करने जैसे कड़े कदम उठाएँ, ताकि वन मंडल में सुचारू रूप से कार्य हो सके और सूचना के अधिकार अधिनियम की भावना बनी रहे।
निष्कर्ष
धरमजयगढ़ वन मंडल में सामने आए इस प्रकरण ने एक बार फिर साबित किया है कि सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग या उल्लंघन करके भ्रष्टाचार को दबाने के प्रयास किए जा सकते हैं। यदि वन मंडलाधिकारी द्वारा वाकई में मनमानी की जा रही है, तो इसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए। शासन-प्रशासन को भी चाहिए कि वह ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी रखे और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई करे, ताकि RTI अधिनियम की मूल भावना—जनता को सूचना का अधिकार—प्रभावी रूप से लागू रह सके।