रायपुर: छत्तीसगढ़ के सरगुजा और महेंद्रगढ़ वन मंडलों में नदी तट और सड़क किनारे वृक्षारोपण के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। वन विभाग हर साल वृक्षारोपण योजनाओं के लिए भारी बजट स्वीकृत करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर इस योजना को भ्रष्टाचार का साधन बना चुके हैं।

नदी तट वृक्षारोपण: करोड़ों की हेराफेरी
महेंद्रगढ़ वन मंडल में नदी तट वृक्षारोपण के लिए 125 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण का दावा किया गया, लेकिन अधिकांश स्थानों पर पौधे लगे ही नहीं।

- कक्ष क्रमांक आर 699 (10 हेक्टेयर) – 14.91 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक RF 679 (5 हेक्टेयर) – 7.08 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक पी 715 (15 हेक्टेयर) – 22.37 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक 669 (15 हेक्टेयर) – 22.37 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक 670 (10 हेक्टेयर) – 14.91 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक 694 (10 हेक्टेयर) – 14.91 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक आर 805 (10 हेक्टेयर) – 14.12 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक आरएफ 765 (10 हेक्टेयर) – 14.91 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक आरएफ 781 (15 हेक्टेयर) – 22.37 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक आरएफ 760 (5 हेक्टेयर) – 7.46 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक आरएफ 763 (10 हेक्टेयर) – 14.91 लाख रुपये
कुल मिलाकर 186.40 लाख रुपये इस योजना के तहत जारी किए गए, लेकिन धरातल पर वृक्षारोपण नगण्य ही देखने को मिला।
सड़क किनारे वृक्षारोपण में भी बड़ा घोटाला
सरगुजा वन मंडल में 6 K. M. सड़क किनारे वृक्षारोपण के लिए 41.51 लाख रुपये स्वीकृत किए गए, लेकिन परिणाम शून्य रहा।

- मैनपाठ से बिसरीपानी (2 किमी)
- बनिया चौक से राईडांड चौक (1 किमी)
- सांडबार से सुखरी भाग 1 (1 किमी)
- सांडबार से सुखरी भाग 2 (1 किमी)
इन सभी मार्गों पर वृक्षारोपण किया जाना था, लेकिन हकीकत में न कहीं पौधे हैं और न ही उनके रखरखाव का कोई प्रमाण।
CCF माथेस्वरम के राज में भ्रष्टाचार चरम पर

सरगुजा के मुख्य वन संरक्षक (CCF) माथेस्वरम के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ है। सवाल यह उठता है कि आखिर वे केवल ऑफिस में बैठकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं? वे फील्ड में निरीक्षण करने से बचते हैं और अपनी कुर्सी बचाने में ही लगे रहते हैं।
वन मंत्री और वनबल प्रमुख की चुप्पी संदिग्ध :

छत्तीसगढ़ सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। यदि भ्रष्टाचार के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले वर्षों में यह स्थिति और बदतर हो सकती है। क्या सरकार इन घोटालों को अनदेखा करती रहेगी या दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी?
निष्कर्ष
वन विभाग की ये योजनाएं केवल फाइलों तक सीमित रह गई हैं। जनता के पैसे का दुरुपयोग कर अधिकारी और ठेकेदार अपनी जेबें भर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार इस भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाए और दोषियों को सजा दिलाए।