दुर्ग। शहर की जल निकासी व्यवस्था को लेकर एक बार फिर नगर निगम प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है। पुलगांव नाला सहित शहर के कई तालाबों में फैली जलकुंभी की सफाई के लिए विधायक गजेंद्र यादव के प्रयासों से पौंड मशीन खरीदी गई थी। शुरुआत में महापौर और विधायक की फोटो के साथ मशीन के उपयोग को लेकर प्रचार-प्रसार भी हुआ, लेकिन अब यह मशीन न कहीं दिख रही है और न ही जलकुंभी की सफाई का कोई ठोस प्रमाण नजर आ रहा है।
नगर निगम की इस निष्क्रियता पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अभियान के महामंत्री शेख रज्जाक ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पुलगांव नाला की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है, विशेष रूप से जलाराम वाटिका के पास का क्षेत्र पूरी तरह जलकुंभी से पटा हुआ है। यह जलकुंभी अब धीरे-धीरे इंटकवेल की ओर बढ़ रही है, जिससे भविष्य में पानी की आपूर्ति बाधित होने की आशंका बन गई है।
रज्जाक ने कहा कि निगम प्रशासन ने जलकुंभी से निपटने के लिए लाखों की मशीन खरीदी, लेकिन उसका उपयोग न के बराबर हुआ है। यदि सही ढंग से इसका उपयोग किया जाता, तो आज पुलगांव नाला पूरी तरह जलकुंभी मुक्त हो चुका होता।
नाली सफाई अभियान पर भी उठे सवाल
शेख रज्जाक ने निगम के डोर-टू-डोर सफाई अभियान और महासफाई अभियान की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन उन इलाकों में कार्रवाई कर रहा है, जहां आबादी कम है या जो शहर से बाहर हैं। वहीं, बाजार क्षेत्र और घनी आबादी वाले वार्डों में नालियों के ऊपर स्लैब डाल कर उन्हें पूरी तरह बंद कर दिया गया है, जिससे नियमित सफाई संभव नहीं हो रही।
उन्होंने पूछा, “क्या महापौर और उनकी परिषद में इतना साहस है कि वे बाजार क्षेत्र की नालियों पर डाले स्लैब तुड़वाकर सफाई करवा सकें? या फिर केवल बाहरी वार्डों के लोगों को धमकाकर अभियान चलाते रहेंगे?”
जनता को हो रही परेशानी
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बरसात से पहले नालियों और नालों की सफाई प्राथमिकता होनी चाहिए, वरना जलभराव और गंदगी की समस्या विकराल रूप ले सकती है। फिलहाल नगर निगम का रवैया उदासीन नजर आ रहा है।
निष्कर्ष: पौंड मशीन खरीदने और प्रचार करने के बाद भी उसका जमीनी उपयोग नहीं होना, और सफाई कार्यों में दोहरा मापदंड अपनाना नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। क्या निगम प्रशासन समय रहते कार्रवाई करेगा, या फिर यह मुद्दा भी बाकी अभियानों की तरह फाइलों में दब जाएगा?