जांजगीर-चांपा और दुर्ग में महंगे RCC पोल की खरीद पर बवाल, 5800 पोल ‘गायब’, RTI से भी बचता रहा विभाग
रायपुर, विशेष संवाददाता:
छत्तीसगढ़ के वन विभाग में वृक्षारोपण और ANR (Assisted Natural Regeneration) कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर RCC पोल की खरीदी की गई, जिसमें अधिकांश वनमंडलों ने ₹240 प्रति पोल की दर से लगभग 7 से 10 लाख पोल खरीदे। मगर सवाल खड़ा हो गया है जब जांजगीर-चांपा और दुर्ग वनमंडलों में इन पोल्स की दर ₹409 प्रति नग दिखाई गई।
जांजगीर-चांपा में खरीदे गए प्री-स्ट्रेस्ड RCC पोल: 9252 नग
कुल लागत: ₹37,84,468
दुर्ग में खरीदी: 15467 नग
कुल लागत: ₹63,26,003
छत्तीसगढ़ की जनता अब यह जानना चाहती है:
- जब पूरे प्रदेश में ₹240 में RCC पोल खरीदे गए, तो केवल जांजगीर-चांपा और दुर्ग में महंगे ₹409 वाले प्री-स्ट्रेस्ड पोल क्यों खरीदे गए ?
- क्या इन दो मंडलों में ऐसी कोई तकनीकी या भौगोलिक जरूरत थी जो अन्य जगहों पर नहीं थी ?
- बाकी 25+ वनमंडलों में प्री-स्ट्रेस्ड पोल की कोई जरूरत क्यों नहीं महसूस की गई ?
- इन दो मंडलों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट में ही प्री-स्ट्रेस्ड पोल को शामिल क्यों किया गया ?
क्या यह DFO स्तर पर लिया गया निर्णय था ?
या वनबल प्रमुख श्री बी. श्रीनिवास राव के कहने पर ?
- क्या वनबल प्रमुख ने अनुमति देने से पहले अन्य वनमंडलों की दरों और तकनीकी जरूरतों की समीक्षा नहीं की ?
- क्या यह चयनित आपूर्तिकर्ताओं को लाभ पहुंचाने का प्रयास नहीं था ?
यह मात्र तकनीकी चयन का मामला नहीं लगता, बल्कि साफ तौर पर वित्तीय अनियमितता और जवाबदेही से बचने की कोशिश है।
क्या इस खरीद की अनुमति देने वाले वन बल प्रमुख श्री बी. श्रीनिवास राव और इस पूरे विभाग के मुखिया वन मंत्री श्री केदार कश्यप को इसकी जवाबदेही नहीं लेनी चाहिए ?
छत्तीसगढ़ की जनता और विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्री-स्ट्रेस्ड पोल सच में आवश्यक थे, तो उनका उपयोग सभी वनमंडलों में क्यों नहीं हुआ? और अगर आवश्यक नहीं थे, तो इन दो मंडलों में महंगे पोल का समावेश क्यों किया गया ?
क्या यह विशिष्ट स्वार्थ के तहत हुई खरीद है?
क्या वनबल प्रमुख श्रीनिवास राव व्यक्तिगत रूप से इसमें रुचि लेकर नियमों को ताक पर रख रहे हैं ?
और क्या वन मंत्री श्री केदार कश्यप इस पूरी प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं या मौन सहमति दे रहे हैं ?
■ बॉक्स: 5800 “गायब” पोल और छुपाई गई जानकारी का सच!



विभागीय सूत्रों के अनुसार,
जांजगीर-चांपा में 1800 नग
दुर्ग वनमंडल में 4000 नग
कुल 5800 फ्री-स्ट्रेस्ड RCC पोल (मूल्य लगभग ₹23 लाख) की खरीदी दिखाकर वस्तुतः सामग्री प्राप्त ही नहीं की गई।
इस संदर्भ में पहले ही विभाग को शिकायत प्राप्त हो चुकी है, जिसमें इन पोल की कागजी खरीदी का आरोप है।
मामले की पुष्टि के लिए RTI के माध्यम से जानकारी मांगी गई,
लेकिन दोनों DFO कार्यालयों ने जानकारी देने से बचने की कोशिश की।
बार-बार RTI का जवाब टालने, अपूर्ण या असंगत सूचना भेजने की रणनीति अपनाई गई।
यह स्पष्ट संकेत है कि मामले में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही और कहीं न कहीं महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए जा रहे हैं।
जनता की मांग:
इस मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। साथ ही इन दोनों अधिकारियों से सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण लिया जाना चाहिए कि आखिर छत्तीसगढ़ के करोड़ों टैक्सपेयर्स के पैसे का इस तरह अपव्यय क्यों किया गया?