बिलासपुर, 3 मई 2025: बिलासपुर कोर्ट ने फर्जी डिग्री मामले में आरोपी डॉक्टर नरेंद्र यादव को एक दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। जस्टिस कृष्ण मुरारी शर्मा ने यह आदेश दिया, जबकि पुलिस ने सोमवार तक की रिमांड की मांग की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी रजनेश सिंह ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है, जो आरोपी से गहन पूछताछ करेगी।
कैसे खुला 18 साल पुराना मामला?
दरअसल, यह मामला 2006 में छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत से जुड़ा है। उनके पुत्र प्रदीप शुक्ला ने हाल ही में बिलासपुर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि इलाज के नाम पर उनके पिता के साथ धोखा हुआ। आरोप है कि नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम, जिसने उनके पिता की हृदय शल्य चिकित्सा की थी, वह फर्जी डॉक्टर है।
जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे:
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फर्जी डिग्री: यादव का भारतीय या छत्तीसगढ़ चिकित्सा परिषद में कोई पंजीकरण नहीं है।
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भ्रामक दावा: इंदौर की एक फर्म को 2024 में भेजे गए बायोडाटा में यादव ने खुद को ब्रिटेन के बर्मिंघम निवासी और 18,740 एंजियोग्राफी, 14,236 एंजियोप्लास्टी करने का दावा किया था।
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दूसरे केस: बिलासपुर में इलाज के दौरान एक अन्य मरीज भगत राम डोडेजा की भी मौत हुई थी।
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दमोह केस: मध्य प्रदेश के दमोह में सात मरीजों की मौत के आरोप में यादव पहले से ही जेल में था, जहां से उसे बिलासपुर लाया गया।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की दिशा
20 अप्रैल को आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 420 (धोखाधड़ी) और 467, 468 (जालसाजी) के तहत FIR दर्ज की गई थी। अब बिलासपुर पुलिस यादव द्वारा इलाज किए गए सभी मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री की पुन: जांच कर रही है।
एसएसपी रजनेश सिंह ने कहा,
“हमारे लिए यह केवल एक फर्जी डॉक्टर का मामला नहीं है, बल्कि जनता के स्वास्थ्य और विश्वास से जुड़ा सवाल है। सभी तथ्यों को सामने लाकर दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी।”