रायपुर। बस्तर संभाग के सुकमा, दंतेवाड़ा और जगदलपुर जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य तेजी से चल रहा है। मौसम में बादल, आंधी-तूफान और बारिश के बावजूद संग्रहण का कार्य प्रभावित नहीं हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 28 अप्रैल 2025 तक 22 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।
बस्तर संभाग के लिए बोरा, सुतली और अन्य आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति तथा परिवहन कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है। फड़ से गोदाम तक और गोदामों में संग्रहित तेंदूपत्तों का बीमा भी लघु वनोपज संघ द्वारा कराया गया है। अन्य जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण मई के पहले सप्ताह से शुरू किया जाएगा।
इस वर्ष संग्राहकों को पारिश्रमिक का त्वरित भुगतान सुनिश्चित करने के लिए Online MFP Collection and Payment System विकसित किया गया है। इसके माध्यम से संग्रहण पारिश्रमिक सीधे संग्राहकों के बैंक खातों में ऑनलाइन भेजा जाएगा। अनुमान है कि 2025 में संग्राहकों को लगभग 920 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2024 से तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 4000 रुपए से बढ़ाकर 5500 रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया है। वर्ष 2025 में प्रदेश भर में 31 जिला वनोपज सहकारी यूनियन के अंतर्गत 902 समितियों से 16.72 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित है। इनमें से बस्तर संभाग की 10 यूनियनों के अंतर्गत 5.64 लाख मानक बोरे का विभागीय संग्रहण किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त अन्य 21 यूनियनों के 10.08 लाख मानक बोरे का अग्रिम विक्रय 767 करोड़ रुपए में पूरा किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि इस तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में छत्तीसगढ़ के 14 लाख संग्राहक परिवार, जिनमें से अधिकांश आदिवासी समुदाय से हैं, जुड़े हुए हैं।