कोरिया/रायपुर।
छत्तीसगढ़ के कोरिया वन मंडल में पुल-पुलिया निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताओं और वित्तीय भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। एक शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को विस्तृत पत्र भेजकर इन कार्यों की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की है।
शिकायत के अनुसार, विभिन्न पत्रों के माध्यम से करोड़ों रुपए की लागत से पुल-पुलिया निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए, जिनमें गंभीर स्तर की गुणवत्ता कमी, निर्धारित इस्टीमेट के उल्लंघन और स्ट्रक्चर गायब रहने की बातें सामने आई हैं।
किस पत्र के तहत किस काम के लिए कितनी राशि स्वीकृत हुई?
पत्र क्रमांक 764 दिनांक 15.05.2020:
8 नग पुल-पुलिया निर्माण हेतु 40 लाख रुपए तथा 5 नग रपटा पुलिया के लिए 25 लाख रुपए, कुल 65 लाख रुपए स्वीकृत।
पत्र क्रमांक 1813 दिनांक 05.11.2020:
वनमार्ग तेलईघाट से दारुपानी (1.5 किमी) के मार्ग पर 3 नग पुलिया निर्माण हेतु 15 लाख रुपए स्वीकृत।
पत्र क्रमांक 1845 दिनांक 27.11.2020:
वनमार्ग पुटा से चिटकड़ी (2 किमी स्पान) पर 12 नग पुलिया निर्माण हेतु 77 लाख रुपए स्वीकृत।
क्या आरोप लगाए गए हैं?
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि:
अधिकांश कार्यों में निर्माण सामग्री के रूप में जंगल से ही रेत, गिट्टी व बोल्डर का उपयोग किया गया, निर्धारित छड़ ण डालकर कम मोटाई के छड़ डाला गया है साथ ही छड़ कि मात्रा भी कम डाला गया हैं, जिससे निर्माण घटिया गुणवत्ता का हुआ।
निर्माण कार्यों में निर्धारित स्वीकृत प्राक्कलन (Estimate) एवं मानकों का पालन नहीं किया गया।
कई स्ट्रक्चर निर्माण ही नहीं किए गए यानी कई स्थानों पर पुल-पुलिया गायब पाई गई हैं।
कार्यों का भौतिक सत्यापन किए जाने पर और भी गंभीर अनियमितताएं सामने आने की पूरी संभावना है।
वर्तमान में पुल-पुलिया इतनी जर्जर स्थिति में हैं कि यह स्पष्ट दर्शाता है कि कार्य तात्कालिक लाभ हेतु किए गए थे, टिकाऊपन एवं गुणवत्ता की पूरी तरह अनदेखी की गई।
जांच को लेकर क्या मांग की गई है?
शिकायतकर्ता ने मांग की है कि:
सभी कार्यों की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच कराई जाए।
कार्यों की गुणवत्ता का परीक्षण PWD अथवा RES (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) जैसी स्वतंत्र गुणवत्ता जांच एजेंसी से कराया जाए।
परीक्षण की प्रक्रिया में शिकायतकर्ता या उसके प्रतिनिधि की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
यदि आवश्यक हो तो परीक्षण की संपूर्ण लागत वह स्वयं वहन करने को तैयार हैं।
जांच प्रक्रिया वन विभाग से हटाकर किसी अन्य स्वतंत्र तकनीकी एजेंसी के माध्यम से कराई जाए, ताकि जांच प्रभावित न हो सके।
क्या कहा गया है भ्रष्टाचार की आशंका पर?
शिकायत में स्पष्ट रूप से आशंका जताई गई है कि वन विभाग के कुछ अधिकारी जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए निष्पक्षता बनाए रखने के लिए जांच वन विभाग से बाहर की एजेंसी से कराई जाए।
अब आगे क्या?
शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुँच चुकी है। यदि इस मामले में उच्चस्तरीय संज्ञान लिया गया तो कोरिया वन मंडल में कई बड़े भ्रष्टाचार की परतें खुल सकती हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी संभव हो सकती है।
4thPiller.com इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है। आगे की जांच एवं सरकारी कार्रवाइयों से जुड़ी हर अपडेट आपको यहीं