जशपुर वन मंडल में पुल-पुलिया निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता: गुणवत्ता परीक्षण की उठी मांग

रायपुर/जशपुर।
जशपुर वन मंडल में करोड़ों रुपये के पुल-पुलिया और रपटा निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता और घटिया गुणवत्ता के गंभीर आरोप सामने आए हैं। एक शिकायत के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को संबोधित करते हुए मामले की स्वतंत्र जांच और गुणवत्ता परीक्षण की मांग की गई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास योजना) के पत्र क्रमांक 1813 दिनांक 15 नवम्बर 2020 के तहत जशपुर वन मंडल में 4 पुल-पुलिया और 2 रपटा निर्माण हेतु ₹40 लाख की राशि स्वीकृत की गई थी। संबंधित निर्माण कार्य निम्नलिखित स्थलों पर संपन्न कराए गए:

पंगुराटांगर से बाराननाला (पुलिया निर्माण)

लोगे से गढ़ा रामबंध (पुलिया निर्माण)

धांधअम्बा से केन्द्रापानी (पुलिया निर्माण)

डोभ से डांडपानी (पुलिया निर्माण)

मारसबहार से कांडोरा (रपटा निर्माण)

बुकना से करडे़गा (रपटा निर्माण)

शिकायतकर्ता के आरोपों के अनुसार, इन सभी कार्यों में निर्माण सामग्री के रूप में आसपास के जंगल से ही रेत, गिट्टी और बोल्डर का उपयोग किया गया, जिससे निर्माण की गुणवत्ता बेहद खराब रही। बनने के कुछ ही महीनों बाद ये पुल-पुलिया जर्जर एवं क्षतिग्रस्त अवस्था में पहुंच गए हैं, जिससे साफ होता है कि निर्माण कार्यों में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं हुईं।

प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:

निर्माण कार्य स्वीकृत प्राक्कलन (Estimate) तथा तकनीकी स्वीकृति के अनुरूप नहीं कराए गए।

कई स्थलों पर स्ट्रक्चर अधूरे अथवा पूरी तरह गायब मिले।

भौतिक सत्यापन (Physical Verification) के दौरान और भी बड़ी अनियमितताएं सामने आने की संभावना जताई गई है।

निर्माण में प्रयोग की गई सामग्रियों की गुणवत्ता अत्यंत निम्न स्तर की रही, जिससे करोड़ों रुपये की सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ।

निष्पक्ष जांच की मांग

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कुछ स्थानीय तत्व जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सच्चाई को दबा सकते हैं। अतः उन्होंने यह मांग की है कि जांच कार्य वन विभाग से हटाकर किसी स्वतंत्र तकनीकी एजेंसी अथवा निर्माण विशेषज्ञ संस्था से कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच PWD या RES (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) जैसी अधिकृत सरकारी एजेंसियों से, अपनी उपस्थिति में कराने की मांग की है।

उन्होंने गुणवत्ता परीक्षण हेतु आवश्यक खर्च वहन करने की भी स्वीकृति दी है, जिससे जांच में किसी भी प्रकार की आर्थिक बाधा न आए।

शासन से कार्रवाई की अपेक्षा

शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय से निवेदन किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए शीघ्र संज्ञान लिया जाए और दोषियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि शासन व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहे और जनता का विश्वास कायम रह सके।

4thPiller.com इस प्रकरण से संबंधित आगे की जांच और प्रशासनिक कार्रवाई पर लगातार नजर रखेगा।

(जशपुर ब्यूरो रिपोर्ट | 4thPiller.com)

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