भारतमाला सड़क घोटाला: रायपुर, दुर्ग और महासमुंद में EOW की ताबड़तोड़ छापेमारी, अफसर-ठेकेदारों का सिंडीकेट बेनकाब

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अभनपुर भारतमाला सड़क घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने शुक्रवार को रायपुर, दुर्ग और महासमुंद में ताबड़तोड़ छापेमारी कर सनसनी फैला दी। यह कार्रवाई EOW चीफ अमरेश मिश्रा की निगरानी में की गई, जिसमें दो साल पहले तक सक्रिय अधिकारियों-ठेकेदारों के सिंडीकेट को निशाने पर लिया गया।

अफसर-ठेकेदारों की साठगांठ से चला घोटाला

सूत्रों के मुताबिक, भारतमाला परियोजना के तहत अधिग्रहित जमीनों में फर्जी नामों से मुआवजा दिलवाकर करोड़ों की हेराफेरी की गई। पटवारियों से लेकर राजपत्रित अधिकारियों तक को इस घोटाले में राजी कर, ठेकेदारों ने जमीनों को इस तरह काटा कि एक ही प्लाट में 6-6 लोगों को अलग-अलग मुआवजा दिलाया गया।

इस घोटाले में महासमुंद के ठेकेदार हरमीत सिंह खनूजा का नाम सबसे प्रमुख है, जिनके ला-विस्टा स्थित मकान पर छापा मारा गया है।

इन ठिकानों पर हुई छापेमारी:

  • हरमीत सिंह खनूजा – ठेकेदार, महासमुंद

  • अमरजीत सिंह गिल – ठेकेदार, दुर्ग

  • योगेश कुमार देवांगन – जमीन दलाल, रायपुर

  • बसंती घृतलहरे – अभनपुर

  • विजय जैन – कारोबारी, गोलबाजार रायपुर

  • उमा तिवारी – महादेवघाट, रायपुर

  • दशमेश – तेलीबांधा, रायपुर

अफसरों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई:

EOW ने तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, RI रोशनलाल वर्मा तथा पटवारी लेकराम देवांगन, दिनेश कुमार साहू और जितेंद्र कुमार साहू के आवासों पर भी छापेमारी की। सभी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों की सरकारी हानि पहुंचाने के आरोप हैं।

FIR और कानूनी पहलू

इस मामले में FIR नंबर 30/2025 के तहत IPC की धारा 420, 467, 468, 471, 120B और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7C में मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले राज्य सरकार ने एक अपर कलेक्टर, एक डिप्टी कलेक्टर और एक तहसीलदार को निलंबित कर दिया था। चार पटवारी भी सस्पेंड किए गए थे, लेकिन तकनीकी आधार पर वे फिर से सेवा में लौट आए।

हाई-लेवल जांच रिपोर्ट में सिंडीकेट की पुष्टि

इस मामले की प्रारंभिक शिकायतों पर रायपुर जिला प्रशासन ने एक हाई-लेवल कमेटी से जांच करवाई थी। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से सिंडीकेट के संचालन और अफसरों की मिलीभगत की पुष्टि हुई। दस्तावेजों के आधार पर कई फर्जीवाड़े प्रमाणित भी हो चुके हैं।

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