बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम दर्राभाठा में आयोजित होने वाली प्रसिद्ध भागवत कथा से ठीक पहले एक बड़ा हादसा टल गया। राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य अनिरुद्धाचार्य द्वारा 19 से 25 अप्रैल तक प्रस्तावित श्रीमद्भागवत कथा के लिए तैयार किया गया विशाल पंडाल शुक्रवार शाम तेज आंधी-तूफान में धराशायी हो गया।
हजारों श्रद्धालुओं की जान बची, तैयारियों की खुली पोल
इस पंडाल में हजारों श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था, पंखे, कूलर, साउंड सिस्टम और जनरेटर सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं। लेकिन तेज हवाओं और बारिश के चलते न केवल पूरा पंडाल गिर गया, बल्कि उसके भीतर की सभी व्यवस्थाएं भी क्षतिग्रस्त हो गईं।
गनीमत रही कि यह घटना कथा शुरू होने से एक दिन पहले हुई, वरना हजारों लोगों की जान को खतरा हो सकता था। पूर्व में देश में कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें पंडाल गिरने से श्रद्धालुओं की जानें गई हैं। इस लिहाज से यह हादसा चेतावनी भी है और सौभाग्य भी।
अनिरुद्धाचार्य ने रास्ते से ही वापसी की
घटना की जानकारी मिलते ही आचार्य अनिरुद्धाचार्य, जो कथा के लिए बिलासपुर आ रहे थे, रास्ते से ही लौट गए। आयोजन समिति के सूत्रों के मुताबिक, पंडाल की स्थिति और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्रशासनिक अनुमति के बावजूद व्यवस्थाएं नाकाम
इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों ने प्रशासन से सभी जरूरी अनुमतियां ली थीं, लेकिन मौसम आपदा प्रबंधन और सुरक्षा इंतज़ामों में भारी लापरवाही सामने आई है। कूलर, पंखे, गद्दे और साउंड सिस्टम बारिश में भीगकर पूरी तरह खराब हो चुके हैं।
स्थानीय प्रशासन और आयोजन समिति की आलोचना
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने आयोजन समिति की अव्यवस्थित तैयारियों और प्रशासन की निगरानी में कमी को लेकर नाराज़गी जाहिर की है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि किसी भी बड़े धार्मिक या सार्वजनिक आयोजन से पहले मौसम की सटीक जानकारी और आपदा से निपटने की पूरी योजना बनाना बेहद जरूरी है।