“IFS सौरभ ठाकुर का कारनामा, स्टॉपडेम बनाए बिना हजम किए 1.38 करोड़!” IFS का कहना मंत्री तक बटता है कमीशन, गुरुघासीदास उद्यान में फर्जी बिल का बड़ा खेल उजागर,


बैकुंठपुर (सरगुजा)।
गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर में सात नालों पर प्रस्तावित स्टॉपडेम निर्माण कार्य में 1.38 करोड़ रुपए की शासकीय राशि बिना किसी निर्माण के फर्जी प्रमाण पत्रों के माध्यम से निकाल लिए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। इस घोटाले में उद्यान संचालक श्री सौरभ ठाकुर एवं पार्क परिक्षेत्र अधिकारी श्री महेश टुंडे सहित संलग्न कर्मचारियों की संयुक्त मिलीभगत की आशंका जताई गई है।

स्टॉपडेम घोटाला: कागज़ों पर निर्माण, जमीन पर घोटाला! “सरकारी पैसे का खेल, बिल-व्हाउचर से हुआ ‘घोटाला'”

बिना स्टॉपडेम निर्माण के ही 1.38 करोड़ निकालने वाले आईएफएस

शिकायतकर्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सात स्थलों पर स्टॉपडेम का निर्माण दर्शाकर पूरे कार्य की राशि निकाल ली गई, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि कहीं भी कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है। मामले की शिकायत अपर मुख्य सचिव (ACS) श्रीमती ऋँचा शर्मा को भेजी गई थी, जिस पर उन्होंने PCCF (वन्यप्राणी) को जांच के निर्देश दिए।

इसके बाद जांच की जिम्मेदारी श्री मनोज पाण्डेय मुख्य वन संरक्षक (CCF) वन्यप्राणी बिलासपुर को सौंपी गई, जिन्होंने जांच टीम गठित कर जांच प्रारंभ करवाई। परंतु, शिकायतकर्ता का आरोप है कि उन्हें विभागीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि जांच टीम बैकुंठपुर आई, लेकिन बिना किसी जाँच बिना किसी स्पॉट गए, बिना किसी निष्कर्ष के लौट गई। उन्होंने यह भी कहा कि टीम के सदस्य संचालक को मौखिक रूप से एक माह में कार्य पूर्ण करने की चेतावनी देकर लौट गए, ताकि बाद में वे जाँच में आएं तो फोटो खींचकर प्रतिवेदन तैयार कर सकें।

यह कैसा न्याय? – शिकायतकर्ता

शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है कि यदि कार्य बाद में पूर्ण कराया जाता है और उसके आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार की जाती है, तो फिर यह जांच निष्पक्ष कैसे मानी जाएगी? उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि जांच को दबाने संचालक श्री सौरभ ठाकुर द्वारा 20 लाख की अटैची लेकर विगत 2 दिनों से रायपुर का दौरा किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि ACS श्रीमती ऋँचा शर्मा, सतर्कता इंचार्ज CCF श्रीमती शालिनी रैना एवं APCCF श्री प्रेमकुमार की ईमानदारी के चलते यह प्रयास सफल नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि इस प्रकरण की जांच सरगुजा सर्किल के बजाय बिलासपुर सर्किल को सौंपी गई है।

इन ईमानदार अधिकारीयों कि वजह से जाँच हो रही हैं, पर क्या जाँच किसी नतीजे पर पहुंचेगा ये देखने वाली बात हैं …

जाँच के बाद काम पूरा कराने की होड़ में जुटे अधिकारी

गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में स्टॉपडेम निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत पर जब विभागीय जांच टीम स्थल निरीक्षण कर लौटी, तो संचालक सौरभ ठाकुर और रेंजर महेश टुंडे सक्रियता अचानक बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार, दोनों अधिकारी अंबिकापुर में विभिन्न ठेकेदारों से मिल-जुल कर मिन्नतें और पैरवी करते फिर रहे हैं कि कैसे भी करके एक महीने के भीतर सातों नालों पर अधूरे या न किए गए कार्य को जल्दबाजी में पूरा करा दिया जाए।

बताया जा रहा है कि जल संसाधन विभाग से जुड़े एक ठेकेदार ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वह सभी कार्य एक माह में पूर्ण करा देगा। इसके लिए ठेकेदार और अधिकारियों के बीच रेट को लेकर मोलभाव भी चल रहा है। संभवतः एक-दो दिनों में कार्य की शुरुआत हो सकती है।

इस तेजी से हो रहे समन्वय को देखकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश है, या फिर जांच से बचने का एक असफल प्रयास?

जांच के बाद रायपुर की दौड़ में जुटे संचालक

गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में फर्जी स्टॉपडेम निर्माण की शिकायत पर विभागीय जांच टीम के दौरे के बाद उद्यान संचालक सौरभ ठाकुर की गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, जांच टीम के लौटने के बाद संचालक लगातार रायपुर के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि वे प्रभावशाली अधिकारियों से संपर्क कर जांच रिपोर्ट को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश में लगे हैं।

इस बीच चर्चाएं हैं कि जांच को प्रभावित करने के लिए पैसे और सिफारिश दोनों के सहारे दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या जांच निष्पक्ष हो पाएगी या फिर सब कुछ पहले से तय स्क्रिप्ट के अनुसार चलेगा?

जांच को लेकर बेफिक्र दिखे अधिकारी, दिया चौंकाने वाला बयान

स्टॉपडेम निर्माण घोटाले की शिकायत पर जांच के आदेश भले ही शासन स्तर से जारी हुए हों, लेकिन गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक सौरभ ठाकुर और रेंजर महेश टुंडे जांच को लेकर पूरी तरह बेफिक्र नजर आ रहे हैं।

इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि—
“जांच के आदेश तो प्रक्रिया का हिस्सा हैं। असल बात है कार्रवाई, जो शायद ही हो। हमें उम्मीद है कि हमारे उच्च अधिकारी हमारी मजबूरी और हालात को समझेंगे।”

सूत्रों के मुताबिक, दोनों अधिकारियों ने अपने मातहत कर्मचारियों को बातचीत में कहा कि—


“कमीशन तो CCF सरगुजा, वन मुख्यालय और मंत्रालय तक जाता है, ऐसे में जांच वगैरह होना सिर्फ औपचारिकता है। आम जनता को दिखाने के लिए ही जांच टीम गठित की जाती है। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। भ्रष्टाचार तो सिस्टम का हिस्सा है, जांच टीम को भी अपना हिस्सा मिलेगा और मामला वहीं खत्म हो जाएगा। ऐसी शिकायतें तो होती ही रहती हैं।”

इस बयान ने न सिर्फ विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार किस हद तक मजबूती से जड़ें जमा चुका है।

“हम ही नहीं, सब करते हैं” — जांच से बेफिक्र अधिकारी का गैरज़िम्मेदाराना बयान

गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में स्टॉपडेम निर्माण के नाम पर बिना कार्य किए 1.38 करोड़ की शासकीय राशि आहरण के मामले में जहां जांच के आदेश जारी हुए हैं, वहीं उद्यान के संचालक सौरभ ठाकुर और रेंजर महेश टुंडे के बयान ने पूरे तंत्र की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार, दोनों अधिकारी अपने अधीनस्थों से कहते हैं कि—


“मार्च में बिना कार्य किए सरकारी पैसे निकालना कोई नई बात नहीं है। यह तो वर्षों से चली आ रही परंपरा है। ऐसा सिर्फ हम ही नहीं करते, जो अधिकारी आज जांच के आदेश दे रहे हैं, वे भी पहले यही करते थे, तभी तो वहां तक पहुंचे हैं। आज हम कर रहे हैं तो बुराई क्या है?”

इस तरह के निरंकुश और गैर-जिम्मेदार बयान न सिर्फ भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि सिस्टम में बैठे कुछ लोग जांच और कानून को सिर्फ औपचारिकता मानते हैं।

PMO को भेजी गई थी शिकायत, लेकिन वहां भी जांच में फर्जीवाड़ा

शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि इसी प्रकार के अन्य निर्माण एवं वृक्षारोपण घोटाले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भी की गई थी। इस पर वन विकास निगम रायपुर के MD को जांच सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने बिना किसी जांच व शिकायतकर्ता से संवाद किए फर्जी जाँच प्रतिवेदन पेश कर दिया। जब इस बाबत जानकारी मांगी गई, तो कार्यालय से कहा गया कि ऐसी कोई शिकायत प्राप्त ही नहीं हुई।

दबावों के बावजूद शिकायतकर्ता का हौसला बुलंद, कहा – हरगिज़ पीछे नहीं हटूंगा

गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में स्टॉपडेम घोटाले की शिकायत को लेकर जहां एक ओर जांच को दबाने की कोशिशें, रायपुर तक पैसे लेकर दौड़ और जांच टीम को प्रभावित करने की खबरें सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता का हौसला पूरी तरह अडिग बना हुआ है।

शिकायतकर्ता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि—
“मैं न झुकने वाला हूँ, न रुकने वाला। कई बार शिकायतों को दबाने की कोशिश की गई, लेकिन मैं पीछे नहीं हटा। अब भी यदि विभागीय जांच निष्पक्ष नहीं हुई, तो मैं ACB और EOW जैसी एजेंसियों में इसकी शिकायत दर्ज कराऊंगा और जांच कराकर ही रहूंगा।”

इस बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई अब किसी भी दबाव में थमने वाली नहीं, बल्कि यह लगातार तेज होती जा रही है।

बिलकुल, यहाँ लेख में वह अंश भी जोड़ते हैं:


छत्तीसगढ़ में सुशासन या भ्रष्टाचार? वनमंत्री केदार कश्यप के सामने बड़ी चुनौती

छत्तीसगढ़ में मार्च माह के अंत में कार्यों की बिना निष्पादन के ही शासकीय राशि के आहरण का खेल कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब यह सिलसिला संगठित भ्रष्टाचार का रूप ले चुका है। कई स्थानों पर फर्जी मस्टर रोल, बिल-वाउचर और प्रमाणक तैयार कर करोड़ों की शासकीय राशि का गबन किया गया है।

गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर में सामने आए स्टॉपडेम घोटाले ने इस गंभीर समस्या को और उजागर कर दिया है। बिना निर्माण के ही 1.38 करोड़ रुपये निकाल लिए गए, और विभागीय जांचें केवल दिखावा बनकर रह गई हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ IFS अधिकारी खुलेआम यह कहने से भी नहीं हिचकते कि “शासन-प्रशासन को भी भ्रष्टाचार की सीढ़ी चढ़नी पड़ती है, तभी कोई ऊपर पहुंचता है” इस तरह के बयानों से न केवल सिस्टम की छवि धूमिल होती है, बल्कि यह ईमानदार अधिकारियों के मनोबल को भी तोड़ता है।

अब यह तय करना माननीय वनमंत्री श्री केदार कश्यप जी के हाथ में है कि छत्तीसगढ़ का वन विभाग सुशासन की राह पर चलेगा या भ्रष्टाचारियों की मनमानी पर। ऐसे भ्रस्ट IFS अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने और जांच के दायरे में लाने की ज़रूरत है ताकि आने वाले समय में कोई भी अधिकारी खुलेआम भ्रष्टाचार को “नॉर्मल” कहने की हिम्मत न करे।

यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और राज्य भर की ऐसी सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए तो कई बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई संभव है, जिनमें IFS अधिकारी भी शामिल हैं।

अब देखना है कि केदार कश्यप जी भ्रष्टाचार के इस दुष्चक्र को तोड़ने की हिम्मत दिखाएंगे या पूर्व की भांति सब कुछ नजरअंदाज कर दिया जाएगा।

“वक़्त है तय करने का – छत्तीसगढ़ चलेगा सुशासन के साथ या भ्रष्टाचार की छाया में?”

 

अब सबकी नजरें जांच अधिकारी पर

इस पूरे मामले में शासन की साख दांव पर है। अब देखना यह होगा कि CCF मनोज पाण्डेय के नेतृत्व में जांच टीम क्या सच सामने लाती है या सिर्फ समय देकर पुराने फर्जीवाड़े को ढंकने का प्रयास करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786

× How can I help you?