रायपुर/दुर्ग। छत्तीसगढ़ वन विभाग में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता शेख अब्दुल करीम ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत पत्र सौंपते हुए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मार्च अकाउंट 2025 के तहत बजट लैप्स न होने देने के लिए विभागीय अधिकारियों ने बिना कार्य कराए फर्जी वाउचर बनाकर शासकीय धन का आहरण कर लिया। यह मामला वन विभाग के विभिन्न मंडलों से जुड़ा हुआ है, जहां ANR, सड़क एवं नदी किनारे वृक्षारोपण, ब्लॉक वृक्षारोपण और विभागीय एवं कैम्पा के निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएं बरती गई हैं। सामग्री सप्लाई किए बिना ही राशि का बंदरबाट कर लिया गया हैं।

क्या हैं प्रमुख आरोप?
1. बिना कार्य किए करोड़ों की सरकारी राशि निकाली गई

शिकायत में बताया गया है कि विभिन्न वन मंडलों में गड्ढे खुदाई, फेंसिंग, वृक्षारोपण और अन्य निर्माण कार्यों को केवल कागजों पर दिखाकर भुगतान कर दिया गया। कई स्थानों पर मौके पर जाकर जांच करने पर यह सामने आया कि कोई कार्य ही नहीं हुआ, लेकिन प्रमाण पत्र बनाकर संपूर्ण राशि निकाली गई।

2. सामग्री के बिना सप्लाई के करोड़ों की सरकारी राशि निकाली गई।
3. PD एकाउन्ट में उच्चधिकारी से बिना अनुमति खर्च, DFO उच्चाधिकारीयों से अनुमति भी लेना उचित नहीं समझते हैं, हमारे द्वारा यह बात उच्चाधिकारीयों के संज्ञान में लाए जाने पर भी वो चुप रहतींन हैं।
4. मजदूरों के नाम पर मशीनों से कराया गया कार्य
- वृक्षारोपण और अन्य कार्यों के लिए मजदूरों को रोजगार देने की योजना थी, लेकिन हकीकत में गड्ढे खुदाई का कार्य ट्रैक्टर और मशीनों से कराया गया।
- मजदूरों के नाम पर फर्जी वाउचर तैयार कर भुगतान किया गया।
5. फर्जी मजदूरों के नाम पर लाखों रुपये निकाले गए
- मजदूरी भुगतान की पूरी प्रक्रिया संदिग्ध है।
- नकली मजदूरों के नाम पर राशि निकाली गई और किसी अन्य खाते में डालकर कैश निकाला गया।
- शिकायतकर्ता ने सोशल ऑडिट कराए जाने की मांग की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वाकई मजदूरों को भुगतान हुआ या नहीं।
कानूनी कार्रवाई की मांग
शिकायत में कहा गया है कि यह पूरा मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी), 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग), 120B (षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं 13 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता हैं।
शेख अब्दुल करीम ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास योजना, वित्त बजट, भू-प्रबंधन), और CAMPA के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र भेजकर तत्काल जांच टीम गठित करने और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
वन विभाग के आला अधिकारियों तक यह शिकायत पहुंच चुकी है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में सरकार और प्रशासन क्या कदम उठाते हैं। यदि इन आरोपों की जांच निष्पक्ष तरीके से होती है, तो यह राज्य में अब तक का सबसे बड़ा वन विभाग घोटाला साबित हो सकता है।
शिकायतकर्ता ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिनों के भीतर जांच नहीं हुई, तो वह उच्च न्यायालय और अन्य स्तरों पर कार्रवाई के लिए मजबूर होंगे। अब निगाहें प्रशासन पर हैं कि वे इस घोटाले पर क्या कदम उठाते हैं!
वन विभाग घोटाले पर होगी जांच, जल्द पहुंचेगी टीम – अरुण पांडेय

रायपुर। वन विभाग में फर्जी भुगतान और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास योजना) अरुण पांडेय ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “शिकायत हमें प्राप्त हुई है। हम निश्चित रूप से जांच कराएंगे और दोषियों पर कार्रवाई होगी। मुख्यालय से जल्द ही जांच टीम भेजी जाएगी।”
अब देखना होगा कि प्रशासन कितनी तेजी से इस मामले की पड़ताल करता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है या उन्हें संभलने का मौका देगा।