शैतान: एक रहस्यमयी और शक्तिशाली जीन शैतान: एक रहस्यमयी और शक्तिशाली जीन


मानव सभ्यता में अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष का वर्णन सदियों से किया जाता रहा है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, शैतान एक जीन है, जो अत्यंत शक्तिशाली होता है और मनुष्यों को गुमराह करने का कार्य करता है। इस लेख में हम शैतान के जन्म, उसके उद्देश्यों और उसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

शैतान: एक परिचय

इस्लाम के अनुसार, अल्लाह तआला ने इंसानों को मिट्टी से और जिन्नात को आग से बनाया है। जिन्नात बहुत शक्तिशाली होते हैं और उनकी गति अकल्पनीय होती है। इन्हीं जिन्नात में सबसे बड़ा और विद्रोही जिन्न “इब्लीस” है, जिसे शैतान भी कहा जाता है।

शैतान का इतिहास और विद्रोह

कहा जाता है कि शैतान पहले आसमान में रहता था और अल्लाह की इबादत में मग्न रहता था। लेकिन जब अल्लाह ने हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) को बनाया और सभी फरिश्तों को उन्हें सजदा करने का आदेश दिया, तब शैतान ने इस आदेश का पालन करने से इंकार कर दिया। उसने खुद को आदम से श्रेष्ठ बताया क्योंकि वह आग से बना था जबकि इंसान मिट्टी से। इसी अहंकार और अवज्ञा के कारण अल्लाह ने उसे धिक्कारा और अपनी रहमत से निकाल दिया।

शैतान का उद्देश्य

शैतान ने अल्लाह से क़यामत तक की मोहलत मांगी ताकि वह इंसानों को गुमराह कर सके। उसकी मंशा यही है कि वह इंसानों को सही मार्ग से भटकाए और उन्हें अल्लाह की इबादत से दूर करे। शैतान का प्रमुख कार्य यह है कि वह:

  1. इंसानों को बुरे कर्मों की ओर प्रेरित करता है – जैसे झूठ बोलना, चोरी करना, कमजोरों पर अत्याचार करना, और अन्य अनैतिक कार्य।
  2. मन में शंकाएँ उत्पन्न करता है – जिससे इंसान सत्य और असत्य के बीच भ्रमित हो जाए।
  3. गुमराही की राह पर ले जाता है – ताकि लोग अल्लाह के आदेशों की अवहेलना करें और गुनाह में लिप्त रहें।

शैतान से बचने के उपाय

कुरआन और हदीस में बताया गया है कि शैतान से बचने के लिए इंसान को अल्लाह की इबादत में लीन रहना चाहिए, सच्चाई का मार्ग अपनाना चाहिए और सद्गुणों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। अल्लाह तआला ने कहा है कि जो व्यक्ति अल्लाह के आदेशों का पालन करेगा, वह शैतान के बहकावे में नहीं आएगा और अंधेरे से निकलकर रोशनी की ओर बढ़ेगा।

निष्कर्ष

शैतान सिर्फ एक दैवीय अवधारणा नहीं, बल्कि एक प्रतीक भी है जो मानव जीवन में नैतिकता और अनैतिकता के बीच संघर्ष को दर्शाता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसकी चालों में फँसते हैं या फिर अच्छाई के मार्ग पर चलते हैं। यदि हम अपने जीवन में सच्चाई और नेक कार्यों को अपनाते हैं, तो हम न केवल शैतान से बच सकते हैं, बल्कि एक सफल और सुखद जीवन भी जी सकते हैं।

(लेखक: संपादकीय टीम, 4thPiller.com)


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786

× How can I help you?