महासमुंद। छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग द्वारा महासमुंद वन मंडल में वन संरक्षण और वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर कला जत्था के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह पहल वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत के निर्देशन में संचालित हो रही है, जिसमें गली-गली और मोहल्ले-मोहल्ले जाकर लोगों को जंगलों को आग और अन्य खतरों से बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।


ग्रामीणों को किया जा रहा जागरूक
वन परिक्षेत्र पिथौरा समेत कई ग्रामीण अंचलों में इस अभियान के तहत लोकगीत, नुक्कड़ नाटक और संवाद कार्यक्रमों के जरिए वन संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। स्थानीय लोगों को बताया जा रहा है कि –
✔ जंगलों को आग से कैसे बचाएं
✔ अवैध कटाई और शिकार को रोकने में उनकी क्या भूमिका हो सकती है
✔ वन्यजीवों की सुरक्षा क्यों जरूरी है
✔ वनों का संरक्षण कैसे पर्यावरण और आजीविका के लिए फायदेमंद है

बजट का सही उपयोग बन रहा मिसाल
अब तक यह देखा गया था कि वन विभाग के प्रचार-प्रसार के लिए आवंटित बजट का सही उपयोग नहीं होता था। आमतौर पर मुख्यालय से स्वीकृत राशि को कागजों में योजनाएँ दिखाकर वापस निकाल लिया जाता था, लेकिन महासमुंद वनमंडल ने इसे जमीनी स्तर पर लागू कर एक मिसाल पेश की है।

वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत ने बताया कि वनों की रक्षा और संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, इसके लिए जनभागीदारी जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए कला जत्था के माध्यम से वन विभाग जनता से सीधे संवाद कर रहा है, ताकि लोग स्वयं जंगलों की रक्षा के लिए प्रेरित हों।

अन्य वन मंडलों में सवालों के घेरे में बजट उपयोग
महासमुंद वन मंडल को छोड़कर राज्य के अन्य वन मंडलों में इस समय लाखों-करोड़ों रुपए के बजट को कागजों पर खर्च दिखाकर राशि निकालने की प्रक्रिया चल रही होगी या इसकी योजना बनाई जा रही होगी। वर्षों से देखा गया है कि वन विभाग का प्रचार-प्रसार केवल दस्तावेजों तक सीमित रहा है और बजट का सही उपयोग नहीं हुआ है। ऐसे में महासमुंद वन मंडल की यह पहल अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
वन संरक्षण में जनता की भागीदारी जरूरी
वन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जनता को जंगलों की सुरक्षा में भागीदार बनाया जाए, तो वनों का संरक्षण अधिक प्रभावी हो सकता है। महासमुंद की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि यदि बजट का सही उपयोग किया जाए और जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए, तो वनों को बचाने की दिशा में ठोस परिणाम मिल सकते हैं।
▶ महासमुंद वन मंडल की यह पहल पूरे छत्तीसगढ़ में वन संरक्षण का एक मॉडल बन सकती है, जिससे अन्य वन मंडल भी सीख ले सकते हैं।