सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य कैम्पा APO वर्ष 2020-21 में धरमजयगढ़ वन मंडल के अंतर्गत कई निर्माण कार्यों के लिए स्वीकृत 3 करोड़ 3 लाख कि राशि का दुरुपयोग और घटिया निर्माण का मामला सामने आया है।
प्रोजेक्ट विवरण एवं स्वीकृत राशि
- चैन लिंक फेंसिंग कार्य (Protection Wall Head – कक्ष क्रमांक 365 PF):
- स्वीकृत राशि: 200 रनिंग मीटर के लिए ₹36,20,000
- स्वीकृति पत्र: CEO कैम्पा, रायपुर के पत्र क्रमांक 78, दिनांक 29/08/2020
- मामला: स्वीकृत फेंसिंग कार्य में प्रयुक्त चैन लिंक मटेरियल घटिया निकला है। निर्धारित ऊँचाई, मोटाई और कोटिंग (पेंट) के प्रिसक्राइब मानकों का पालन नहीं किया गया। जंग लग जाना और असामान्य माप के कारण फेंसिंग की कार्यक्षमता पर प्रश्न चिह्न लग गए हैं।
- नरवा विकास योजना के अंतर्गत कार्य:
- सांगुनाला (SOIL MOISTURE CONSERVATION हेड):
- 42 गेवियन संरचना हेतु – ₹44,37,000
- 3 कंटूर ट्रेंच निर्माण हेतु – ₹37,72,000
- साखोनाला:
- 41 गेवियन जाली संरचना – ₹42,30,000
- 5 कंटूर ट्रेंच निर्माण – ₹34,85,000
- देवरी नाला:
- 18 गेवियन जाली संरचना – ₹18,81,000
- 5 कंटूर ट्रेंच निर्माण – ₹45,36,000
- कोरजा नाला:
- 33 गेवियन जाली संरचना – ₹32,45,000
- कंटूर ट्रेंच निर्माण – ₹47,79,000
- कुल स्वीकृत राशि: लगभग ₹3 करोड़ 3 लाख (स्वीकृत कार्यों के विभिन्न भागों के अनुसार)
- मामला: इन कार्यों में निर्धारित मानकों के अनुसार गेवियन (जाली) संरचनाओं तथा कंटूर ट्रेंच का निर्माण नहीं हो पाया। गुणवत्ताहीन सामग्रियों का उपयोग किया गया, जिससे आवश्यक लंबाई, ऊँचाई और स्थायित्व में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, रेती-गिट्टी जैसी सामग्री जंगल से लेकर इस्तेमाल की गई, जबकि बिलिंग बाहरी सप्लायर के रेट के अनुसार की गई।
- सांगुनाला (SOIL MOISTURE CONSERVATION हेड):
उल्लंघन और अनियमितताओं के आरोप
- निर्माण गुणवत्ता में गिरावट:
- चैन लिंक फेंसिंग में प्रयुक्त घटिया मटेरियल, निर्धारित मापदंडों का उल्लंघन, और फेंसिंग में जंग लग जाना।
- नरवा विकास योजना के तहत गेवियन संरचनाओं और कंटूर ट्रेंच निर्माण में गुणवत्ता एवं मात्रा की कमी, जिससे निर्धारित संरचनात्मक मानकों का पालन नहीं हो सका।
- निर्धारित स्थान पर कार्य न होने और संरचनाओं की वास्तविक उपस्थिति में भारी अंतर पाया गया।
- भ्रष्टाचार के संकेत:
- दो दिनों तक निरीक्षण/पड़ताल करने पर भी कार्य की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं पाई गई।
- सरकारी धन का गलत उपयोग तथा घटिया निर्माण को छुपाने के लिए RTI में जानकारी न देने की नीति अपनाई जा रही है।
- सूचना के अधिकार (RTI) में बाधा:
- धरमजयगढ़ वन मंडल से यदि कोई भी RTI के तहत जानकारी मांगे, तो वन मण्डल अधिकारी श्री अभिषेक जोगावत द्वारा जानकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को अनावश्यक अंतरित कर दी जाती है।
- इसके पश्चात् स्वयं को “प्रथम अपिलीय अधिकारी” घोषित कर, आवेदकों को बार-बार अपील सुनवाई हेतु बुलाया जाता है।
- आवेदक की अनुपस्थिति में अपील प्रकरण को “नस्तीबद्ध” कर दिया जाता है, जिससे वास्तविक तथ्य जनता और मीडिया तक नहीं पहुँच पाते।
महत्व और प्रभाव
नरवा विकास योजना एवं चैन लिंक फेंसिंग के कार्यों का महत्व:
- इन परियोजनाओं का उद्देश्य वन क्षेत्रों में जल संरक्षण, सुरक्षा और संरचनात्मक मजबूती सुनिश्चित करना था।
- आदिवासी एवं स्थानीय समुदायों के हित में तेंदूपत्ता बोनस, जल संचयन, और वन सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए जाने चाहिए थे।
नुकसान और प्रभाव:
- घटिया निर्माण से संरचनाओं का निर्धारित कार्य नहीं हो पाने से योजनाओं का मूल उद्देश्य प्रभावित हो रहा है।
- सरकारी धन का दुरुपयोग एवं भ्रष्टाचार के आरोप न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रहे हैं, बल्कि वन विभाग की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिह्न लग रहे हैं।
- RTI के माध्यम से जानकारी न उपलब्ध कराने की नीति से पारदर्शिता में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।
कार्रवाई की मांग
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सूत्रों के अनुसार, घटिया निर्माण कार्य और सूचना उपलब्ध कराने में हो रही बाधाओं को लेकर माननीय वन मंत्री श्री केदार कश्यप जी से अपील की जा रही है कि:
- उच्च स्तरीय जांच:
- इन सभी अनियमितताओं की तत्काल और निष्पक्ष जांच हो।
- घटिया निर्माण कार्यों और निर्धारित मानकों का उल्लंघन करने वाले प्रोजेक्ट्स पर सख्त कारवाई की जाए।
- वन मंडल अधिकारी की जिम्मेदारी:
- श्री अभिषेक जोगावात द्वारा जानकारी छुपाने की प्रथा को समाप्त किया जाए।
- दोषियों को हटाकर, पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु उचित कदम उठाए जाएँ।
निष्कर्ष
धरमजयगढ़ वन मंडल के अंतर्गत स्वीकृत कैम्पा APO 2020-21 के कार्यों में घटिया निर्माण एवं निर्धारित मानकों का उल्लंघन गंभीर चिंता का विषय है। घटिया मटेरियल, गलत बिलिंग, और अपर्याप्त कार्य निष्पादन के कारण योजनाओं का मूल उद्देश्य विफल हो रहा है। साथ ही, सूचना के अधिकार के तहत पारदर्शिता में रुकावट से भ्रष्टाचार के आरोपों को छुपाने की कोशिश की जा रही है। माननीय वन मंत्री श्री केदार कश्यप जी एवं श्री व्ही श्री निवास राव से अपील की जा रही है कि तुरंत उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि वन विभाग में पारदर्शिता एवं गुणवत्ता का मूलमंत्र पुनः स्थापित हो सके।