छत्तीसगढ़ /जगदलपुर :- जगदलपुर जिले के TDPP जल संसाधन संभाग द्वारा DMF (जिला खनिज न्यास) फंड के अंतर्गत कराए जा रहे 672.45 लाख रुपए के निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ता अब्दुल शेख करीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ सरकार के संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

छत्तीसगढ़ के जगदलपुर TDPP जलसंसाधन संभाग क्षेत्र में DMF (जिला खनिज न्यास) फंड के अंतर्गत स्वीकृत निर्माण परियोजनाओं से संबंधित है। विभिन्न सिंचाई योजनाओं और स्टॉपडैम निर्माण कार्यों के लिए लाखों रुपए का प्रावधान किया गया है। नीचे विस्तृत जानकारी दी गई है:
1. आदेश संख्या 2765/जि.पां/प्रशा.स्वी./DMFT/2023-24, दिनांक 15/03/2024
- इंद्रावती नदी के दाहिने तट पर सिंचाई योजना:
- निर्माण कार्य (साइट 01) हेतु 43.67 लाख रुपए।
- निर्माण कार्य (साइट 02) हेतु 43.67 लाख रुपए।
- कुल: 87.34 लाख रुपए।
2. आदेश संख्या 2765/जि.पां/प्रशा.स्वी./DMFT/2023-24, दिनांक 15/03/2024
- इंद्रावती नदी के दाहिने तट पर सिंचाई योजना:
- साइट 01 हेतु 41.64 लाख रुपए।
- साइट 02 हेतु 41.64 लाख रुपए।
- साइट 03 हेतु 41.64 लाख रुपए।
- कुल: 124.92 लाख रुपए।
3. आदेश संख्या 5919/जि.पां/प्रशा.स्वी./DMFT/2024-25, दिनांक 10/07/2024
- ग्राम बड़े पारा कोट में स्टॉपडैम निर्माण के लिए 230.38 लाख रुपए।
4. आदेश संख्या 5919A/जि.पां/प्रशा.स्वी./DMFT/2024-25, दिनांक 10/07/2024
- मियानार खासपारा में स्टॉपडैम निर्माण के लिए 229.81 लाख रुपए।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- कुल धनराशि 672.45 लाख रुपए से अधिक।
- इन परियोजनाओं में गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर शिकायत की गई है।
- आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया, गुणवत्ता नियंत्रण और निरीक्षण मानकों का सही ढंग से पालन नहीं किया गया।
शिकायत में उल्लिखित प्रमुख बिंदु:
- गुणवत्ता की कमी: पत्र के अनुसार कई निर्माण कार्य अधूरे हैं और गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं हैं।
- अनियमित टेंडर प्रक्रिया: शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि निर्माण कार्यों में ठेकेदारों और तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया गया।
- धन का दुरुपयोग: कुल 672.45 लाख रुपए की परियोजनाओं में केवल सीमित कार्य ही पूरा हुआ है।
- पारदर्शिता की मांग: शिकायतकर्ता ने कहा है कि जांच प्रक्रिया में उन्हें भी शामिल किया जाए ताकि जांच में पारदर्शिता बनी रहे।
- विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी: शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है।
मांगें:
- उच्च स्तरीय समिति द्वारा निष्पक्ष जांच।
- दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई।
- सरकारी राशि की वसूली और सार्वजनिक धन की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- सहायक अभियंता को कार्य विभाग नियमावली परिशिष्ट 1.26 एवं 1.28 तथा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाए।
- छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9(1)(क) के तहत उप अभियंता पर कार्रवाई की जाए।
प्रभाव:
यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल सरकारी धन की बर्बादी है बल्कि प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
शिकायत की प्रति मुख्यमंत्री सचिवालय, जल संसाधन विभाग, खनिज विभाग, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी गई है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर क्या कदम उठाता है।