
जगदलपुर, बस्तर (छत्तीसगढ़)
जिला खनिज संस्थान न्यास (DMFT) के आदेश क्रमांक/6375/जि.पां/प्रशा. स्वी./DMFT/2022–23 दिनांक 08 अगस्त 2022 के तहत सिंचाई परियोजनाओं के लिए भारी वित्तीय स्वीकृति दी गई थी। इस आदेश के अंतर्गत कार्यपालन अभियंता TDPP जलसंसाधन संभाग जगदलपुर को तीन प्रमुख (स्टॉपडेम निर्माण) निर्माण कार्यों के लिए कुल 2 करोड़ 30 लाख 26 हजार रुपये की तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई थी। इनमें से प्रत्येक कार्य का उद्देश्य जल संरक्षण एवं सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना था।

स्वीकृत परियोजनाएं:
- कोण्डालुर स्टाफ डैम निर्माण: एक करोड़ तीन लाख छियानवे हजार रुपये।
- डोंगरीपारा अलवा स्टॉप डैम निर्माण: उनसठ लाख तैंतीस हजार रुपये।
- सुदर्शन पारा स्टॉप डैम पखनार: छियासठ लाख तिरानवे हजार रुपये।
इन परियोजनाओं के लिए कार्यपालन अभियंता, टीडीपीपी जल संसाधन संभाग, जगदलपुर को क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया गया था।
गुणवत्ता विहीन निर्माण का आरोप
भौतिक निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि निर्माण कार्य नियमानुसार प्राक्कलन एवं तकनीकी मानकों के अनुरूप नहीं किए गए हैं। आवश्यक मात्रा में सीमेंट एवं छड़ का उपयोग नहीं हुआ है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
शिकायतकर्ता ने स्पष्ट रूप से बताया है कि कार्य स्थल पर जाकर देखने से यह प्रतीत होता है कि निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता बरती गई है।
जांच की मांग
शिकायतकर्ता ने संबंधित अधिकारियों के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- पारदर्शी जांच: शिकायतकर्ता के समक्ष जांच कराई जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
- दोषियों पर कार्यवाही:
- सहायक अभियंता को कार्य विभाग नियमावली परिशिष्ट 1.26 एवं 1.28 तथा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाए।
- छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9(1)(क) के तहत उप अभियंता पर कार्रवाई की जाए।
- वित्तीय वसूली: अनियमितता की राशि वसूल की जाए।
ED की जांच की संभावना
यदि प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं होती है तो मामला ED के सामने लाए जाने की संभावना है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के हस्तक्षेप से वित्तीय अनियमितताओं की गहन जांच की जा सकती है।
DMFT फंड की पारदर्शिता पर सवाल
DMFT फंड का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। लेकिन बार-बार सामने आ रही अनियमितताओं ने फंड के उपयोग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नियमों का उल्लंघन
निर्माण कार्य में अनियमितता पाए जाने पर यह स्पष्ट रूप से कार्य विभाग की नियमावली के उल्लंघन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों का भी गंभीर उल्लंघन है।
निष्कर्ष
इस मामले में सरकारी धन के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन से त्वरित एवं निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। यदि अनियमितता की पुष्टि होती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न केवल आवश्यक होगी, बल्कि यह भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में भी मदद करेगी।