Miracle On The Hudson: 2800 फीट की ऊंचाई पर जाम हो गए फ्लाइट के इंजन..आसमान से सीधा नीचे गिरने लगा था विमान, लेकिन पायलट की सूझबूझ से ऐसे बची 155 लोगों की जान

यू एस एयरवेज 1549 की फ्लाइट ने 15 जनवरी 2009 को न्यूयॉर्क सिटी से 150 पैसेंजर्स के साथ उड़ान भरी थी। लेकिन रास्ते में कुछ ऐसा हुआ, जिससे शायद किसी भी पैसेंजर की जान बचाना नामुमकिन था।

न्यूयॉर्क सिटी से नॉर्थ कैरोलिना के चार्लोट एंड सिएटल (Charlotte and Seattle) तक जाने वाली फ्लाइट के दोनों इंजन जाम होने की वजह से फ्लाइट पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था।

फ्लाइट के दोनों इंजन कैसे हो गए थे जाम?

ब्रिटिश दैनिक समाचार पत्र डेली मेल के अनुसार उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही जब फ्लाइट 2800 फीट की ऊंचाई पर था, तब इसके दोनों इंजन जाम हो गए थे। दरअसल, पक्षियों का झुंड फ्लाइट के सामने आ गया था। यह कनाडा गीज (Canada geese) नाम के पक्षियों का झुंड था। उस समय पायलट चेस्ली सुलेनबर्गर (Chesley Sullenberger) फ्लाइट उड़ा रहे थे और उनके साथ दूसरे पायलट फर्स्ट ऑफिसर जेफरी स्काइल्स (Jeffrey Skiles) भी मौजूद थे।

पक्षियों के झुंड के आने की वजह से अचानक से प्लेन को मोड़ा नहीं जा सकता था और जिसका डर था वही हुआ। प्लेन की तेज रफ्तार की वजह से पक्षी हवा के साथ प्लेन के इंजन में फंस गए, यही कारण था जिसकी वजह से प्लेन के दोनों इंजन ही जाम हो गए। इंजन के साथ-साथ अब प्लेन के टर्बोफैन ने भी काम करना बंद कर दिया था।

अभी तक किसी भी यात्री को इसके बारे में नहीं पता था, लेकिन इंजन के जाम होने के बाद ही प्लेन में एक धमाके की आवाज आई। आवाज इतनी तेज थी कि पूरा प्लेन इसकी वजह से हिल गया था। आवाज सुनते ही, सभी यात्री घबरा गए और प्लेन में हल्ला मच गया। ऐसी स्थिति में क्रू मेंबर्स उन्हें शांत करवाने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन इंजन रूक जाने की वजह से अब प्लेन भी हवा में हिलने लगा था। पायलट पूरी कोशिश कर रहे थे कि इंजन को दोबारा चलाया जा सके। इसलिए वह बार-बार इंजन रीस्टार्ट करने की कोशिश कर रहे थे।

प्लेन स्पीड से नीचे गिरने लगा

कड़ी कोशिशों के बाद भी दोनों पायलट इंजन नहीं चला पाए और प्लने हवा में ग्लाइड करने लगा। यात्रियों को बचाने के लिए पायलट ने तुरंत ATC को इसकी सूचना दी। उन्होंने कहा कि वह वापस लागोर्डिया एयरपोर्ट (LaGuardia Airport) पर प्लेन लैंड करवाना चाहते हैं, क्योंकि फ्लाइट के इंजन काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि आपको फ्लाइट तुरंत लैंड करवाना होगा। इंजन के जाम होने की वजह से आप अगर वापस लागोर्डिया एयरपोर्ट आने की कोशिश नहीं कर सकते, हम यह खतरा नहीं उठा सकते, इसलिए आप एयरपोर्ट के 31 नंबर रनवे पर विमान को लैंड करवाएं। लेकिन पायलट समझ गया था कि अब प्लेन पर नियंत्रण नहीं किया जा सकेगा। इसलिए उसने कंट्रोल रूम से एयरपोर्ट पर फ्लाइट लैंड करवाने से मना कर दिया। पायलट चेस्ली ने कहा अगर हम वहां जाने की कोशिश करेंगे, तो प्लेन बीच में ही न्यूयॉर्क सिटी में गिर सकता है। इससे केवल प्लेन में बैठे यात्री ही नहीं बल्कि शहर में मौजूद लोग भी हादसे का शिकार हो जाएंगे। प्लेन पर ज्यादा देर तक हम कंट्रोल नहीं कर पाएंगे।

क्यों पानी पर करना पड़ा फ्लाइट की लैंडिग

पायलट कंट्रोल रूम से न्यूजर्सी के किसी एयरपोर्ट पर लैंडिंग करवाने की परमिशन मांग रहे थे। आखिर कंट्रोल रूम ने भी पायलट की बात मान ली और फैसला कर लिया गया। लेकिन अब प्लेन धीरे-धीरे नीचे आता जा रहा था। 3 बजकर 28 मिनट पर प्लेन 1600 फीट पर था, ऐसे में किसी भी हाल में वह न्यूजर्सी के किसी एयरपोर्ट पर लैंडिंग नहीं कर सकते थे।

अब पायलट समझ गए थे कि प्लेन को ऊंचाई पर उड़ान संभव नहीं है। इसलिए बेहतर है कि वह पास में हडसन नदी (Hudson River) पर ही प्लेन की लैंडिंग करवा दें। कंट्रोल रूम को यह सूचना दी गई और वह यह सुनते हैरान हो गए। क्योंकि, नदी के ऊपर फ्लाइट की लैंडिंग नहीं करवाई जा सकती थी। लेकिन अब प्लेन बहुत नीचे आ चुका था, यह जमीन से केवल 500 फीट ऊपर था।

3:28 से 3:31 के बीच प्लेन 1600 फीट से 500 फीट पर आ गया था। उस वक्त प्लेन की स्पीड 230 किलोमीटर प्रति घंटा थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि पायलट 3 बजकर 31 मिनट पर फ्लाइट की लैंडिंग पानी के ऊपर इस तरह करवाई जैसे प्लेन जमीन पर लैंड कर रहा है। ऐसा लगा रहा था जैसे पानी के ऊपर प्लेन तैर रहा था, तो यह नजारा किसी सपने से कम नहीं था।

प्लेन में घुसने लगा था पानी

पायलट ने सभी यात्रियों को अगले गेट से बाहर निकलने के लिए कहा। लेकिन यात्री घबराए हुए थे। उन्हें किसी भी तरह से जल्दी से प्लेन से बाहर आना था, इसलिए घबराहट में एक यात्री ने प्लेन के पीछे का गेट खोल दिया। प्लेन का पिछला हिस्सा पानी में डुबा हुआ था, इसलिए गेट खोलते ही पानी प्लेन के अंदर आने लगा। अब प्लेन पानी में डूब जाता और यात्री भी, इसलिए फौरन सभी यात्रियों को प्लेन से तेजी से बाहर निकाला जाने लगा।

कुछ यात्री प्लेन के ऊपर उसकी पत्तियों पर चढ़ कर बैठ गए, तो वहीं कुछ यात्रियों लाइफ जैकेट पहनी हुई थी। इसलिए वह नदी में कूद गए। दरअसल, पहले ही नदी के पास रेस्क्यू टीम मौजूद थी, क्योंकि कंट्रोल रूम द्वारा इसकी जानकारी दे दी गई थी। इसलिए जैसे प्लेन से यात्री बाहर आए, उन्हें फौरन बोट पर बिठाया गया। इस हादसे में 4 से 5 लोगों को चोटें आई थी, लेकिन सभी यात्री बच गए। जब प्लेन लैंडिंग को लेकर NTSB टीम जांच की तो पता कि अगर पायलट ने 35 सेकंड की देरी की होती, तो प्लेन क्रैश हो सकता था।

मोस्ट सक्सेसफुल लैंडिंग अवार्ड

इसके बाद पायलट को मोस्ट सक्सेसफुल लैंडिंग अवार्ड भी मिला। साथ ही इसे एक जादू भी कहा जाता है, इसलिए लोग इसे ‘मिरेकल ऑफ द हडसन’ के नाम से भी बुलाते हैं।

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