छत्तीसगढ़: वन विभाग ने करोड़ों खर्च कर करवाई जैव विविधता का सर्वेक्षण, 1.76 करोड़ के 11,700 पुस्तकें बिना वितरण के धूल खा रहीं।

रायपुर: छत्तीसगढ़ के वन विभाग द्वारा Zoological Survey of India (ZSI), कोलकाता के सहयोग से संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता पर एक महंगी परियोजना चलाई गई। इस परियोजना के तहत कुल ₹1.76 करोड़ खर्च किए गए, जिसमें जैव विविधता के संरक्षण पर दो प्रमुख सर्वेक्षण शामिल थे।

परियोजना के अंतर्गत 11,700 पुस्तकें प्रकाशित की गईं, लेकिन ये पुस्तकें विभाग के कार्यालयों में केवल शोभा बढ़ा रही हैं। अब तक इन पुस्तकों का न तो कोई वितरण किया गया है और न ही इनके उपयोग की कोई स्पष्ट योजना सामने आई है।

सर्वेक्षण की उपयोगिता पर सवाल

इस महंगे सर्वेक्षण में वन्य जीवन संरक्षण से संबंधित विभिन्न सिफारिशें की गई थीं, लेकिन उनकी धरातलीय क्रियान्वयन स्थिति पूरी तरह अस्पष्ट है।

  • सिफारिशों का क्रियान्वयन: सर्वेक्षण में उठाए गए सवालों को कितना लागू किया गया, इसकी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है।
  • धरातल पर उपयोगिता: राज्य के संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता संरक्षण में इन सिफारिशों का कोई व्यावहारिक असर परिलक्षित नहीं होता।
  • पुस्तकें वितरण से वंचित: वन विभाग द्वारा प्रकाशित 11,700 पुस्तकों का वितरण तक नहीं किया गया है।

जानकारों की राय

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जैव विविधता सर्वेक्षण का उद्देश्य न केवल अध्ययन करना, बल्कि उसके आधार पर ठोस नीतियां और कार्य योजनाएं लागू करना होता है। यदि इन सिफारिशों का पालन नहीं किया गया, तो यह परियोजना केवल कागजी प्रक्रिया बनकर रह गई है।

सरकार से मांग

  • विस्तृत जांच: परियोजना की धनराशि के सही उपयोग और सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विस्तृत जांच की मांग की जा रही है।
  • पुस्तकों का वितरण: प्रकाशित पुस्तकों का वितरण कर जनता और वन अधिकारियों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाए।
  • परिणामों की सार्वजनिक जानकारी: सर्वेक्षण के आधार पर उठाए गए कदमों की जानकारी जनता को दी जाए।

यह मामला दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं में धन खर्च तो कर दिया जाता है, लेकिन यदि उनका व्यावहारिक उपयोग नहीं हो पाया, तो ये केवल फिजूलखर्ची बनकर रह जाती हैं।

https://drive.google.com/file/d/1NKJ9ubb0vxx9Mx73Gv9YvAekhcLe76iY/view?usp=drivesdk

इस दस्तावेज़ से यह स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने Zoological Survey of India (ZSI), कोलकाता को फेज-1 परियोजनाओं के तहत भुगतान किया है। इन परियोजनाओं में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:

  1. संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता का अध्ययन (Faunal Diversity of Protected Areas in Chhattisgarh Phase-I): कुल परियोजना लागत ₹87 लाख।
  2. जिलावार संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता का अध्ययन (District Wise Faunal Diversity): कुल परियोजना लागत ₹89.50 लाख।

दस्तावेज़ के अनुसार:

  • इन परियोजनाओं के तहत 7 दस्तावेज़ तैयार किए गए हैं।
  • कुल 11,700 पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं।
  • भुगतान की अंतिम राशि ₹31,69,595 की चेक संख्या 178 से 2 जून 2021 को जारी की गई।

संदिग्ध बिंदु

  1. परियोजना की प्रभावशीलता: इतने बड़े बजट के बावजूद संरक्षित क्षेत्रों में जैव विविधता से जुड़ी कोई ठोस रिपोर्टिंग या धरातलीय बदलाव नहीं दिखता है।
  2. पुस्तकों का उपयोग: 11,700 पुस्तकों के उपयोग और वितरण की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। क्या ये पुस्तकें वास्तविक रूप से जंगल प्रबंधन या जैव विविधता संरक्षण के लिए उपयोग में लाई गई हैं?
  3. प्रकाशन की आवश्यकता: क्या पुस्तकों के माध्यम से ही इतने बड़े बजट का उपयोग करना तर्कसंगत था?

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