30 जनवरी को हादसे में सिर में गंभीर चोट से हो गई थी मौत
एम्स में मौत के बाद बेटे की सहमति से किए गए अंगदान
नई दिल्ली।
सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद जान गंवाकर भी बिजेंद्र शर्मा चार लोगों को जिंदगी दे गए। 30 जनवरी की रात घर लौटते समय फरीदाबाद में हुए सड़क हादसे में उनके सिर में गंभीर चोट लग गई थी। उपचार के लिए उन्हें अगले दिन एम्स ट्रामा सेंटर लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। मौत के बाद बेटे मिथलेश की सहमति से उनके अंगदान किए गए।
बिजेन्द्र के अंगों को राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के माध्यम से आवंटित किया गया। दिल को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया, जबकि लीवर को आईएलबीएस अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया गया। साथ ही, किडनी को एम्स और आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफेरल (एएच एंड आआर) अस्पताल में भर्ती दो मरीजों में ट्रांसप्लांट किया गया। इसके अलावा कॉर्निया को एम्स के नेशनल आई बैंक में सुरक्षित रखा गया है। अंगदान के बाद बेटे मिथलेश ने बताया कि पिता दयालु और सामाजिक व्यक्ति थे। वह हमेशा दूसरों की मदद करते थे। पिता को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से खो दिया। हमारी इच्छा है कि पिता के अंग दूसरों को जीवन प्रदान करें।
लोगों ने की थी मदद
पेशे से फर्नीचर डिजाइनर 50 वर्षीय बिजेंद्र 30 जनवरी को घर लौट रहे थे। इस दौरान फरीदाबाद में दुर्घटना के तुरंत बाद लोग उन्हें नजदीकी अस्पताल ले गए। जब पिता बिजेंद्र काफी देर तक घर नहीं लौटे तो बेटे मिथलेश ने उनके नंबर पर फोन किया, लेकिन फोन पिता के बजाय किसी अजनबी ने उठाया और घटना के बारे में बताया। परिजन आननफानन में अस्पताल ले गए, जहां उन्हें एम्स रेफर कर दिया गया।
परिवार ने लिया साहसिक निर्णय
ओआरबीओ एम्स के प्रमुख डॉ. आरती विज ने बताया कि परिवार के सदस्य के जाने के बाद अंगदान का फैसला करना बहुत कठिन है। हालांकि, परिवार ने साहसिक निर्णय लेते हुए अंगदान का फैसला लिया। अंगदान की सूचना मिलने के बाद डॉक्टर, प्रत्यारोपण समन्वयक, अंग प्रत्यारोपण टीम, फॉरेंसिक विभाग, पुलिस और सभी सहायक विभाग ने इस दिशा में काम किया। डीसीपी ट्रैफिक नई दिल्ली की मदद से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंग को पहुंचाया गया।