बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक अभूतपूर्व मामला सामने आया है, जहां खुले कोर्ट में अधिवक्ता की विवादित टिप्पणी को अवमानना माना गया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभूदत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने अधिवक्ता को अवमानना नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।
मामला कोरबा निवासी अधिवक्ता श्यामल मलिक की याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने फैमिली कोर्ट द्वारा डीएनए टेस्ट के आदेश को चुनौती दी थी। लेकिन हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इसी मुद्दे पर पूर्व में 8 अप्रैल 2024 को याचिका खारिज हो चुकी थी।
जब कोर्ट ने याचिका खारिज की, तो अधिवक्ता सैमसन सैमुल मसीह ने कथित रूप से कहा, “मुझे पता था कि मुझे इस बेंच से न्याय नहीं मिलेगा।” अदालत ने इस टिप्पणी को न्यायपालिका की निष्पक्षता और गरिमा पर सीधा हमला मानते हुए गंभीरता से लिया और इसे अवमाननापूर्ण बताया।
डिवीजन बेंच ने यह स्पष्ट किया कि अदालत की निष्पक्षता पर सवाल उठाना न केवल न्यायिक प्रक्रिया को अपमानित करता है, बल्कि वकीलों की आचरण संहिता का उल्लंघन भी है। अब अगली सुनवाई में वकील को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा।