रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को भारतमाला सड़क प्रोजेक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण में हुई भारी गड़बड़ी को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई। विधायक ओंकार साहू के सवाल पर राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने खुद स्वीकार किया कि कई जिलों में जमीन खरीद प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई और कागजात में हेरफेर कर गैरहकदारों को करोड़ों का मुआवजा दे दिया गया।
मंत्री के अनुसार रायपुर, धमतरी, कांकेर, कोण्डागांव, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, जशपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बिलासपुर जैसे जिलों में जमीन अधिग्रहण किया गया था। मगर, सरकार ने न तो कोई आंतरिक जांच करवाई और न ही किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी पड़ताल कराई, जिससे पूरे मामले की गंभीरता और बढ़ जाती है।
जांच में सामने आया कि खसरा और बी-1 जैसे दस्तावेजों में हेरफेर कर उन लोगों को मुआवजा दिया गया, जिनका जमीन से कोई संबंध ही नहीं था। यह एक सुनियोजित घोटाला प्रतीत हो रहा है।
राजस्व मंत्री ने बताया कि दोषी पाए गए अफसरों में निर्भय कुमार साहू और शशिकांत कुर्रे जैसे राजस्व अधिकारियों को मार्च 2025 में सस्पेंड कर आरोप-पत्र जारी किया गया। नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन को भी निलंबित किया गया। हालांकि, हाई कोर्ट के आदेश पर कुछ को बहाल कर दिया गया है।
अब मामला राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सौंपा गया है। 8 अप्रैल 2025 को केस नंबर 30/2025 के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और IPC की कई धाराओं में जांच शुरू हो चुकी है।