Sawan 2025 : सावन मास में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है, और बेलपत्र को शिवजी पर अर्पित करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। लेकिन बेलपत्र चढ़ाने की भी कुछ धार्मिक और शास्त्रीय नियम पुराणों और धर्म शास्त्रों में बताए गए हैं। अगर बेलपत्र शुद्ध न हो, तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता। शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि भगवान शिव को अर्पित करने के लिए बेलपत्र विशेष गुणों से युक्त होना चाहिए। यदि बेलपत्र अशुद्ध, मुरझाया हो तो वह पूजन में निष्फल हो सकता है। ऐसे में आपका व्रत भी फल नहीं देगा और आपकी पूजा व्यर्थ चली जाएगी। तो आइए जानते हैं सावन में शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए कैसे होने चाहिए बेलपत्र।
तीन पत्तियों वाला बेलपत्र होना चाहिए
भगवान शिव को चढ़ाने के लिए बेलपत्र हमेशा त्रिदल होना चाहिए, अर्थात उसकी एक डंडी में तीन पत्तियां जुड़ी हों। यह त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक होता है, साथ ही शिव के त्रिनेत्र और त्रिशूल को भी दर्शाता है। एक या दो पत्ती वाले बेलपत्र को पूजन में मान्य नहीं माना गया है। त्रिदल बेलपत्र शिवभक्ति की पूर्णता का संकेत होता है और इसे अर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
ताजा, हरा और स्वच्छ होना चाहिए
शिव को अर्पित किया जाने वाला बेलपत्र पूरी तरह से ताजा, हरा और साफ-सुथरा होना चाहिए। पीला, सूखा, मुरझाया हुआ या कीड़े-मकोड़ों से क्षतिग्रस्त बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए। बेलपत्र जितना हरा और ताजा होगा, उतना ही वह शिव को प्रिय होता है। गिरे हुए या गंदे पत्तों का उपयोग करने से पूजा का प्रभाव कम हो जाता है। सावन में अपने घर पर रुद्राभिषेक करने के फायदे जानिए
बेलपत्र का मध्य भाग फटा हुआ न हो
बेलपत्र का बीच का भाग यदि फटा हुआ हो, तो उसे शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा बेलपत्र अपवित्र माना गया है। मध्य से कटा या फटा बेलपत्र शिव की पूजा में निषिद्ध है क्योंकि यह अशुद्धता का प्रतीक माना जाता है। केवल संपूर्ण, अखंड और सुंदर त्रिदली बेलपत्र ही अर्पण के योग्य होता है।
दिशा सही होनी चाहिए
बेलपत्र चढ़ाते समय उसकी चिकनी सतह ऊपर की ओर रहनी चाहिए और डंडी की ओर आपकी तरफ होनी चाहिए। यह परंपरागत नियम है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से पूजन की पूर्णता को दर्शाता है। उल्टे या गलत दिशा में अर्पण किया गया बेलपत्र पूजा के फल को कम करता है। रुद्राभिषेक के लिए सबसे अच्छी डेट्स की पूरी लिस्ट यहां देखें
पहले चढ़ाया गया बेलपत्र पुनः चढ़ाया जा सकता है
भगवान शिव की एक विशेषता यह है कि वे पुनः अर्पण किए गए बेलपत्र को भी स्वीकार करते हैं। यदि कोई बेलपत्र पहले चढ़ाया गया हो और वह अभी भी साफ, त्रिदली और अखंड अवस्था में है, तो उसे धोकर पुनः चढ़ाया जा सकता है। यह शिव की उदारता का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि वे भक्ति और भावना को अधिक महत्व देते हैं।