मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में लिया गया बड़ा निर्णय : उद्योग विभाग को सौंपा जाएगा जशप्योर का ट्रेडमार्क

छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचल जशपुर की आदिवासी महिलाओं के समूह द्वारा प्राकृतिक वनोपज का प्रसंस्करण कर तैयार की गई विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों का ब्रांड जशप्योर अब जशपुर और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदमताल करने को तैयार है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के वोकल फॉर लोकल अभियान को आत्मसात करते हुए एक अहम निर्णय लिया गया है जिसके तहत जशपुर जिले की महत्वाकांक्षी महिला केंद्रित ब्रांड जशप्योर का ट्रेडमार्क अब उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा। यह ऐतिहासिक निर्णय जशप्योर को व्यापक उत्पादन, संस्थागत ब्रांडिंग और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच दिलाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।

जशप्योर – परंपरा को उद्यमिता से जोड़कर खोली उन्नति की राह

जशप्योर ब्रांड महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला उपक्रम है, जिसे जशपुर जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक, पोषणयुक्त और रसायनमुक्त खाद्य उत्पादों का निर्माण करते हुए स्थानीय समुदायों को रोजगार उपलब्ध कराना और सतत विकास को बढ़ावा देना है।

इस ब्रांड का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि और वनोपज का प्रसंस्करण कर खाद्य उत्पादों के रूप में तैयार करना तथा रोजगार से जोड़ते हुए व्यावसायिक स्तर पर इन्हें व्यापक पहचान दिलाना है।

जशप्योर के उत्पादों की मुख्य विशेषता यह है कि ये पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। इनमें किसी भी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव, रंग या कृत्रिम स्वाद का उपयोग नहीं किया जाता और ये सस्टेनेबल पैकेजिंग में उपलब्ध हैं। जशप्योर केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी माटी की महक, आदिवासी बहनों की मेहनत और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का प्रतीक बन चुका है।

जशप्योर के उत्पाद बना रहे हैं अपनी अलग पहचान

जशप्योर द्वारा महुआ और अन्य वनोपज को शामिल करते हुए कई प्रकार के पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें महुआ आधारित उत्पाद जैसे महुआ नेक्टर, महुआ वन्यप्राश, महुआ कुकीज़, रागी महुआ लड्डू, महुआ कैंडी और महुआ नेक्टर कोकोआ शामिल हैं। इसके अलावा, ढेकी कूटा जवा फूल चावल, मिलेट आधारित पास्ता और कोदो, कुटकी, रागी तथा टाऊ से बने विभिन्न उत्पाद भी पूरे भारत में अपनी पहचान बना रहे हैं।

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