रायपुर : महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर में बड़ा प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। विभाग की कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा पर सेवा समाप्त संविदा कर्मियों को नियमों के विरुद्ध लाखों रुपये वेतन भुगतान करने के आरोप लगे हैं। यह भुगतान उस समय किया गया, जब संबंधित कर्मचारियों की सेवाएं गोपनीय प्रतिवेदन में प्रतिकूल मूल्यांकन के आधार पर 2022 में समाप्त कर दी गई थीं।
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नियमों की अनदेखी
2022 में विभाग की जिला स्तरीय समिति द्वारा जिन 9 संविदा कर्मियों की सेवा समाप्त की गई थी, वे सभी कर्मचारी गोपनीय प्रतिवेदन में “ख”, “ग” और “घ” श्रेणी में मूल्यांकित थे। नियमों के अनुसार, केवल “क+” और “क” श्रेणी के कर्मियों को ही सेवा विस्तार दिया जा सकता है। इसके बावजूद, कार्यक्रम अधिकारी ने इन कर्मचारियों को सेवा से पृथक किए जाने के बाद भी वेतन का भुगतान कर दिया।
हालांकि, सेवा समाप्ति के खिलाफ कर्मियों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर में याचिका दाखिल की थी। अदालत ने 14 फरवरी 2024 को सेवा समाप्ति आदेश को निरस्त करते हुए सक्षम प्राधिकारी को पुनर्विचार कर निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। लेकिन, इससे पहले ही अधिकारी द्वारा सक्षम प्राधिकृत समिति को जानकारी दिए बगैर वेतन भुगतान कर दिया गया।
RTI में हुआ खुलासा
आरटीआई के माध्यम से सामने आई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2022-23 में 8 संविदा और 1 सेवा प्रदाता कर्मचारी की सेवा समाप्त की गई थी, जिन्हें इसके बावजूद लाखों रुपए का भुगतान किया गया। इस कार्रवाई को लेकर अधिकारी पर दबावपूर्वक अधीनस्थों से कार्य कराने, समिति की कार्यवाही सक्षम अधिकारी से छुपाने, और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।
समिति की बैठकों और निष्कर्ष की अनदेखी
जिला स्तरीय समिति ने 27 अगस्त, 11 सितंबर, 23 सितंबर और 18 नवंबर 2024 को बैठक कर सेवा समाप्ति का निर्णय लिया था। फिर भी, कार्यक्रम अधिकारी ने यह जानकारी कलेक्टर (सक्षम प्राधिकारी) को जानबूझकर प्रस्तुत नहीं की।
गबन और अन्य आरोप
विशेष रूप से एक कर्मी दुष्यंत कुमार निर्मलकर पर लगभग 7 लाख रुपये गबन कर अपने निजी खाते में जमा करने का आरोप भी सामने आया है।
सेवा समाप्त कर्मियों की सूची:
- अल्केश्वरी सोनी – क श्रेणी में, सेवा विस्तार पर पुनर्विचार
- नवनीत कुमार स्वर्णकार – ख श्रेणी (वर्तमान में निधन)
- अश्विन जायसवाल, हेमलाल नायक, ज्योति शर्मा, रजनीश गेंदले, दुष्यंत निर्मलकर, अखिलेश डहरे, महेश्वरी दुबे – सभी के प्रतिवेदनों में ख, ग या घ श्रेणी
इन सभी के गोपनीय प्रतिवेदन दस्तावेज संलग्न हैं, जिनसे स्पष्ट होता है कि नियमों का उल्लंघन कर अनाधिकृत वेतन भुगतान और भ्रष्टाचार किया गया है।