सूटकेस में मिला बच्ची का शव, गुस्साए लोग, इलाके में तनाव के चलते फोर्स तैनात

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दयालपुर इलाके में पड़ोसी के घर में नौ साल की बच्ची का शव सूटकेस में बंद मिला, जिसके बाद परिवार के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न और हत्या का आरोप लगाया। कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्षेत्र में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है। पुलिस यौन उत्पीड़न समेत सभी पहलुओं की जांच कर रही है।

मामले की जानकारी के बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भीड़ ने लापरवाही का आरोप लगाया और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।इलाके में तनाव के कारण कई दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ीं। उनमें से कई ने कहा कि वे हिंसा से डरते हैं और प्रदर्शनकारियों के बाजार की गलियों से मौजूदगी के चलते अपनी दुकानें बंद कर लीं।

इस मामले में राजनीति भी तेज हो गई है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और आप नेता आतिशी ने मामले को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली की बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है?

आप ने उठाए ये सवाल
आतिशी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि ‘दिल्ली में 9 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और मर्डर के लिए कौन जिम्मेदार है? बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है? भाजपा की 4 इंजन की सरकार है, फिर भी हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं? कहां हैं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी? कहां हैं देश के गृह मंत्री अमित शाह जी?’

यह है मामला
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक नाबालिग लड़की का खून से लथपथ सूटकेस में शव मिला है। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को पूर्वोत्तर दिल्ली के नेहरू विहार में एक नाबालिग लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस को शुरुआती मेडिकल जांच के आधार पर यौन उत्पीड़न का संदेह है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दयालपुर पुलिस स्टेशन में रात 8:41 बजे पीसीआर कॉल मिलने पर एक टीम को नेहरू विहार की गली नंबर 2 में भेजा गया, जिसमें पाया गया कि लड़की के पिता ने उसे पहले ही जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में भर्ती करा दिया था। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। डॉक्टरों ने उसके चेहरे पर चोट के निशान पाए और यौन उत्पीड़न की संभावना जताई है।

पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया है। साक्ष्य एकत्र करने और आरोपियों का पता लगाने के लिए कई टीमों को तैनात किया गया है।

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