छत्तीसगढ़ समेत देशभर के सीबीएसई स्कूलों के छात्र खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा बदलाव सामने आया है। अब वे राज्य सरकार द्वारा आयोजित विकासखंड, जिला, संभाग और राज्य स्तर की शालेय खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। यह निर्णय स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) द्वारा सीबीएसई को स्वतंत्र खेल इकाई के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद लिया गया है।
सत्र 2025-26 से लागू होगा नया नियम
यह नियम आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी होगा। इसके अनुसार, सीबीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूलों के खिलाड़ी अब राज्य स्तरीय मंचों पर अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे। वे सीधे SGFI द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ही भाग ले सकेंगे।
हालांकि SGFI के राष्ट्रीय मंच की संख्या सीमित है, जिससे कई होनहार खिलाड़ियों के प्रदर्शन और विकास के अवसर कम हो सकते हैं। बिलासपुर सहित प्रदेश के कई छात्र, जो पहले जिला और संभाग स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते रहे हैं, अब इस नई व्यवस्था से प्रभावित होंगे।
SGFI का फैसला और सीबीएसई की तैयारी
बता दें कि SGFI ने सत्र 2024-25 में अपनी 68वीं राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सीबीएसई को स्वतंत्र इकाई के रूप में मान्यता दी थी। उस समय तक सीबीएसई के पास स्वतंत्र खेल ढांचा पूरी तरह तैयार नहीं था, इसलिए राज्य सरकार ने अस्थायी छूट देते हुए अपने राज्य स्तरीय खेलों में सीबीएसई छात्रों को शामिल किया था।
अब जब सीबीएसई ने अपना स्वतंत्र खेल तंत्र विकसित कर लिया है, छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने SGFI के निर्देशों के आधार पर सीबीएसई छात्रों को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं से बाहर कर दिया है।
अब सीबीएसई छात्र खेलेंगे सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर
SGFI की आधिकारिक वेबसाइट पर भी यह स्पष्ट किया गया है कि सीबीएसई बोर्ड के छात्रों ने स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पदक जीते। इसलिए अब वे राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए पात्र नहीं हैं।
खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रभाव
इस बदलाव से छात्रों के लिए राज्य स्तर तक पहुंचने का एक महत्वपूर्ण रास्ता बंद हो गया है, जिससे उनके खेल करियर और प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच तक ले जाने में अतिरिक्त चुनौतियां आ सकती हैं। प्रशिक्षकों और अभिभावकों का मानना है कि यह निर्णय कई कुशल खिलाड़ियों के विकास को सीमित कर सकता है।
छत्तीसगढ़ के खेल जगत में इस फैसले को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, और अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि CBSE अपने स्वतंत्र खेल ढांचे को कैसे विस्तार देता है, ताकि छात्र राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।