छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग छात्रों को अब पढ़ाई जाएगी गीता, संस्कृति और ज्योतिष

छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम बदलाव अब छात्रों को सिर्फ तकनीकी विशेषज्ञ ही नहीं, बल्कि जिम्मेदार और सांस्कृतिक रूप से सजग नागरिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सत्र 2025-26 से राज्य के 28 इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक नया पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है, जिसमें श्रीमद्भगवत गीता, भारतीय संविधान, संस्कृति, खगोल विज्ञान और ज्योतिष जैसे विषय अनिवार्य रूप से शामिल होंगे।

यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत किया गया है। जहां पिछले साल यह नीति उच्च शिक्षा में लागू हुई थी, वहीं अब इसे तकनीकी शिक्षा में भी उतारा जा रहा है। नए पाठ्यक्रम के अनुसार, छात्रों को मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम की सुविधा मिलेगी। यानी एक साल की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा और चार साल पर बीटेक की डिग्री मिलेगी।

शुरुआती वर्षों में मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ-साथ स्किल बेस्ड विषय भी शामिल होंगे। छात्रों को उनकी ब्रांच से जुड़ी तकनीकी स्किल्स सिखाई जाएंगी। जैसे, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग की ट्रेनिंग मिलेगी। अब ब्रांच के अनुसार फिजिक्स का कंटेंट भी अलग होगा।

सबसे खास बात यह है कि पाठ्यक्रम में प्राचीन भारतीय ज्ञान और मूल्यों को भी महत्व दिया गया है। पहले सेमेस्टर में ‘एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम’, दूसरे में ‘गीता – मैनुअल ऑफ लाइफ एंड यूनिवर्स’, तीसरे में ‘ट्रेडिशनल साइंस’ और चौथे सेमेस्टर में ‘भारतीय संस्कृति और संविधान’ पढ़ाया जाएगा।

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