बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की संदिग्ध मौत के लगभग दो दशक बाद अब इस मामले में एक बड़ा और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान हुई उनकी मौत की जांच में फर्जी डॉक्टर की संलिप्तता सामने आई है, जिसके बाद पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है।
दमोह से आरोपी डॉक्टर गिरफ्तार
सरकंडा पुलिस ने मध्यप्रदेश के दमोह से डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉक्टर पर आरोप है कि उसने वर्ष 2006 में राजेंद्र शुक्ल का इलाज किया था, और उसी दौरान उनकी मौत हो गई थी। वर्षों तक यह मामला ठंडे बस्ते में रहा, लेकिन हाल ही में दमोह के मिशन अस्पताल में कई मरीजों की संदिग्ध मौत के बाद जांच शुरू हुई और डॉ. नरेंद्र की फर्जी डिग्री का खुलासा हुआ।
एसएसपी ने की पूछताछ, डिग्री पर संदेह
एसएसपी रजनेश सिंह ने शनिवार को सरकंडा थाने पहुंचकर आरोपी से तीन घंटे तक गहन पूछताछ की। पूछताछ के दौरान आरोपी डॉक्टर स्पेशलिस्ट डिग्री को लेकर गोलमोल जवाब देता रहा। हालांकि, उसने पुलिस को जांच में सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
पुत्र की शिकायत पर दोबारा खुला मामला
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शुक्ल के पुत्र ने, डिग्री के फर्जी होने की सूचना मिलने पर, सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया। पुलिस अब उस संस्थान की जांच कर रही है जहां से आरोपी डॉक्टर ने डिग्री लेने का दावा किया है।
अगली कार्रवाई
पुलिस आरोपी डॉक्टर को सोमवार को न्यायालय में पेश करेगी। इस मामले ने राज्य की चिकित्सा व्यवस्था और सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर जब किसी बड़े नेता की मौत भी फर्जी चिकित्सकीय इलाज का शिकार हो जाए।