चैती छठ 2025: जानें शुभ तिथियां, विधि और महत्व

चैती छठ सूर्य भगवान और छठी मैय्या को समर्पित लोक आस्था का पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला कठिन व्रत होता है, जिसमें व्रती संकल्प लेकर पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य उपासना करते हैं। आइए जानते हैं चैती छठ 2025 की तिथियां, विधि और महत्व।

चैती छठ 2025 तिथियां

✔ 1 अप्रैल – नहाय खाय (चैत्र शुक्ल चतुर्थी)
✔ 2 अप्रैल – खरना (चैत्र शुक्ल पंचमी)
✔ 3 अप्रैल – संध्या अर्घ्य (चैत्र शुक्ल षष्ठी)
✔ 4 अप्रैल – उषा अर्घ्य और परना (चैत्र शुक्ल सप्तमी)

चैती छठ पूजा विधि

1. नहाय खाय (1 अप्रैल)

चैती छठ का पहला दिन नहाय खाय से शुरू होता है। इस दिन व्रती पवित्र नदी में स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें कद्दू-भात और चने की दाल बनाई जाती है। इससे तन और मन की शुद्धि होती है।

2. खरना (2 अप्रैल)

दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जो शाम को गुड़ की खीर और रोटी के सेवन के बाद खोला जाता है। इसी के साथ व्रती 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत की शुरुआत करते हैं।

3. संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल)

तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दौरान घाटों पर छठ गीत गाए जाते हैं और सूर्य देव को ठेकुआ, फल और गन्ने का अर्घ्य अर्पित किया जाता है।

4. उषा अर्घ्य और परना (4 अप्रैल)

अंतिम दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद प्रसाद वितरण के साथ व्रत पूर्ण होता है।

चैती छठ का महत्व

मान्यता है कि चैती छठ मनोकामना पूर्ण करने का पर्व है। यह मुख्य रूप से उन्हीं श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता है, जिनकी मनोकामना पूरी होती है। इसे एक, तीन, पांच साल या मनोकामना पूर्ण होने तक किया जाता है।

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