बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के किल्लोबहारा जंगल में दफन किए गए भालू का शव 27 दिन बाद बाहर निकाला गया, लेकिन इस घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों और विभागीय सूत्रों का कहना है कि अगर CCF और DFO ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती और विभाग में सख्ती होती, तो यह घटना नहीं होती। अब इस मामले में दोनों अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठने लगी है।
ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश: CCF-DFO पर हो सख्त कार्रवाई
भालू के शव को 27 दिन तक दबाकर रखने और विभागीय स्तर पर इस मामले को छिपाने की कोशिशों से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि वन विभाग के उच्च अधिकारी समय पर कार्रवाई करते, तो यह घटना सामने आने से पहले ही सुलझ सकती थी। ग्रामीणों ने इस मामले में CCF और DFO को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
विभागीय सूत्र भी CCF-DFO को मान रहे दोषी
वन विभाग के ही कुछ अधिकारियों का कहना है कि अगर CCF और DFO ने समय पर कसावट लाया होता, तो यह घटना नहीं होती। सूत्रों के अनुसार,
- क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति लागू नहीं की गई।
- स्थानीय रेंजरों को संरक्षण देने की प्रवृत्ति ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
- विभागीय बजट के दुरुपयोग में ही अधिकारी व्यस्त रहते हैं, संरक्षण और सुरक्षा की जिम्मेदारी पर ध्यान नहीं दिया जाता।
जांच में सामने आए गंभीर सवाल
- भालू की मौत की जानकारी इतने दिनों तक क्यों छुपाई गई?
- रेंजर ने तुरंत DFO और CCF को रिपोर्ट क्यों नहीं दी?
- CCF ने मामले की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
- क्या भालू की मौत प्राकृतिक थी या इसके पीछे शिकारियों या वन विभाग के लोगों की मिलीभगत थी?
बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश में न हो लीपापोती
अब जब मामला मीडिया में आ गया है, तो वन विभाग ने जांच टीम बना दी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ दिखावे के लिए है? अक्सर देखा गया है कि ऐसे मामलों में निचले स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई करके बड़े अफसरों को बचा लिया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर CCF और DFO की जिम्मेदारी तय नहीं की गई, तो वन विभाग की कार्यप्रणाली में कभी सुधार नहीं होगा।
क्या होनी चाहिए कार्रवाई?
- CCF और DFO को तत्काल निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच हो।
- रेंजर को भी सस्पेंड कर उच्च स्तरीय पूछताछ की जाए।
- वन विभाग के पूरे तंत्र की समीक्षा कर वन्यजीव सुरक्षा में लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- भालू की मौत की असली वजह का खुलासा करने के लिए निष्पक्ष जांच कराई जाए।
क्या यह होगा वन विभाग में सुधार का पहला कदम?
बालोद की यह घटना वन विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो आगे भी ऐसे ही मामले सामने आते रहेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार और वन विभाग इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे या फिर हमेशा की तरह इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।