रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी में वन विभाग से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। वनमंडलाधिकारी द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया गया कि जिस “कुंवारादेव समिति माना” को पिछले 6-7 वर्षों से वन विभाग के कार्यों के लिए करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया, उसका अब कोई अस्तित्व नहीं बताया जा रहा है। लेकिन हकीकत इससे अलग है।
सूत्रों के अनुसार, यह समिति वन विभाग की माना नर्सरी में ठेकेदारी के नाम पर बनाई गई थी ताकि भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सके। इसे एक ‘सुरक्षित भ्रष्टाचार’ का तरीका बताया जा रहा है, जिसमें किसी भी RTI (सूचना के अधिकार) के तहत मांगी गई जानकारी पर विभाग यह कहकर बच सकता था कि कार्य किसी समिति द्वारा किया गया था।
इस घोटाले के सामने आने के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी हो रही है। फाइल छत्तीसगढ़ शासन की अपर मुख्य सचिव (ACS) ऋचा शर्मा के पास पहुंच चुकी है। माना जा रहा है कि जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
इन अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
इस मामले में तत्कालीन डिप्टी रेंजर एवं वर्तमान रेंजर सतीश मिश्रा और वनरक्षक जाधव पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस मामले में केवल छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जाएगा या फिर इसमें शामिल SFS और IFS अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी।
सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के अन्य वनमंडलों में भी इसी तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने आ सकते हैं। इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है, और जल्द ही अन्य घोटालों का खुलासा भी किया जा सकता है।
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