कोर्ट ने पलटा वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला, पुणे इमामबाड़ा का दर्जा रद्द

Waqf Tribunal: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल के 2023 के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें पुणे स्थित हाजी मोहम्मद जवाद इस्पहानी इमामबाड़ा ट्रस्ट को वक्फ संस्था के रूप में रजिस्टर्ड करने को बरकरार रखा गया था. जज संदीप वी. मार्ने ने यह फैसला सुनाया है. उन्होंने वक्फ बोर्ड के 2016 के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें इमामबाड़ा पब्लिक ट्रस्ट को वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 43 के तहत वक्फ के तौर पर रजिस्टर किया गया था.

अदालत ने फैसला सुनाया कि वक्फ बोर्ड ने धारा 43 का गलत इस्तेमाल किया है, जो पिछले कानूनों के तहत रजिस्टर्ड कुछ वक्फों को 1995 के अधिनियम के तहत पहले से रजिस्टर्ड मानती है. कोर्ट ने साफ किया है कि महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के तहत मुस्लिम ट्रस्ट के सिर्फ रजिस्ट्रेशन करने से उसे वक्फ का दर्ज अपने आप नहीं मिल जाता है.

मामले को हल करने का दिया निर्देश:

जज मार्ने ने वक्फ ट्रिब्यूनल के लंबित विवाद को इंडीपेंडेटली हल करने का निर्देश दिया है. साथ ही शिकायतकर्ता को एक नया आवेदन लेकर ट्रिब्यूनल में जाने की भी स्वतंत्रता दी. कोर्ट ने ट्रिब्यूनल को हाई कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए बिना मामले पर फैसला लेना का भी निर्देश दिया है.

बता दें कि पुणे में एक इमामबाड़ा है जो 1953 में एक मुस्लिम पब्लिक ट्रस्ट के तौर पर रजिस्टर्ड था. ट्रस्ट के अंदर मिसमैनेजमेंट के आरोपों के कारण वक्फ बोर्ड के सामने एक आवेदन दायर किया गया, जिसमें इसे वक्फ संस्था के तौर पर रजिस्टर्ड करने की मांग की गई. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने 2023 में उनकी याचिका को खारिज कर दी जिसके चलते या, जिसके कारण ट्रस्टियों ने उच्च न्यायालय में एक सिविल रिव्यू याचिका दायर की.

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