कोरबा (पाली): वर्ष 2023-24 में आदिवासी महिलाओं के लिए शुरू की गई मुर्गी पालन योजना में 72.83 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया है। सरकारी दस्तावेजों में यह पूरी राशि स्व-सहायता समूहों को देने के लिए स्वीकृत दिखाई गई, लेकिन हकीकत में किसी भी लाभार्थी को इसका फायदा नहीं मिला। जब वसूली की बात आई, तो रेंजर ने खुलेआम इनकार कर दिया और अब बिलासपुर के CCF प्रभात मिश्रा भी कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं।

72.83 लाख की योजना, लेकिन पैसा कहां गया?
सरकारी योजना के तहत पाली क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए मुर्गी पालन हेतु लाखों रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी:
- सोनाली मुर्गी पालन – ₹18,71,500
- बायलर मुर्गी पालन – ₹14,11,000
- कड़कनाथ मुर्गा पालन – ₹20,00,500
- कड़कनाथ मुर्गा पालन (अलग से) – ₹20,00,500
कुल स्वीकृत राशि: ₹72,83,000

लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह पूरी राशि कहां और कैसे खर्च हुई, इसका कोई हिसाब नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें इस योजना के तहत किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिली।

रेंजर की धमकी – “हम वेतन नहीं लुटा सकते!”
इस मामले में जब संबंधित रेंजर से गबन की गई राशि की वसूली की बात की गई, तो उसने अड़ियल रवैया अपनाते हुए कहा –
“विभागीय बेगारी कौन झेलेगा? हम अपनी तनख्वाह इनपर नहीं लुटा सकते। किस अधिकारी में इतनी ताकत है कि वे हमसे वसूली करेंगे?”
रेंजर के इस बयान ने साफ कर दिया कि वह खुद को किसी भी कार्रवाई से ऊपर समझ रहा है और विभागीय अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।

CCF प्रभात मिश्रा – सेवानिवृत्ति की चिंता, कार्रवाई से परहेज़
इस मामले में बिलासपुर के CCF प्रभात मिश्रा का रवैया भी सवालों के घेरे में आ गया है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि –
“मेरी सेवानिवृत्ति को सिर्फ 7 महीने बचे हैं, मुझे ठीक से रिटायरमेंट की तैयारी करने दिया जाए, शिकायतों में उलझाया न जाए। हां, औपचारिक जांच के आदेश दे दिए जाएंगे, फिर आगे कार्यवाही होगी।”
इस बयान ने प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार को और अधिक उजागर कर दिया है। जब उच्च अधिकारी ही घोटालों पर पर्दा डालने में लगे हैं, तो निचले स्तर पर कार्रवाई की उम्मीद करना बेकार है।
APCCF JFM और PCCF से न्याय की उम्मीद

अब इस मामले में सबकी निगाहें APCCF JFM और PCCF एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव पर टिकी हैं। लोगों को उम्मीद है कि वे इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे और गबन की गई राशि की वसूली का आदेश देंगे।
ग्रामीणों का गुस्सा, बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी

इस घोटाले के खुलासे के बाद स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि अगर जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे।
प्रशासन की चुप्पी – क्या घोटालेबाज बच निकलेंगे?
अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं आया है। क्या सरकार इस घोटाले की निष्पक्ष जांच करेगी और दोषियों को सजा दिलाएगी? या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
(नोट: यह रिपोर्ट प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। मामले की गहन जांच के बाद और अधिक तथ्य सामने आ सकते हैं।)