तेंदूपत्ता बोनस में 6 करोड़ 54 लाख रुपये के कथित गबन का मामला, जाँच रिपोर्ट पेश, DFO अशोक पटेल पर गिरेगी गाज़ ?

ACS ऋँचा शर्मा ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के सामने रखा प्रकरण, हटाकर मुख्यालय में अटैच होने की अटकलें।

सुकमा।

तेंदूपत्ता बोनस में हुए कथित घोटाले ने सुकमा वन मंडल में हलचल मचा दी है। सूत्रों के मुताबिक, अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) श्रीमती ऋँचा शर्मा ने तेंदूपत्ता बोनस के 6 करोड़ 54 लाख रुपये के गबन के मामले को सीधे मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के संज्ञान में लाया है। इसके बाद वनमंडलाधिकारी (DFO) श्री अशोक पटेल को सुकमा से हटाकर मुख्यालय में अटैच करने की तैयारी चल रही है।

वह स्थान जहाँ AC में बैठे अधिकारी आराम फरमाते हैं, करोड़ों का बोनस बटा ही नहीं अधिकारीयों कों पता ही नहीं चला, मामला उजागर करने में भी आम जनता और पत्रकार लगे रहे ग्राउंड जीरो पर।

कैसे सामने आया मामला

  • जनवरी 2025 में खुलासा: जानकारी के अनुसार, सुकमा वन मंडल के अंतर्गत वर्ष 2021 और 2022 के लिए तेंदूपत्ता बोनस की राशि लगभग 6.54 करोड़ रुपये श्रमिकों के बीच बाँटे जाने थे।
  • फरवरी से अप्रैल 2024 में जारी हुई राशि: बताया जाता है कि वनमंडलाधिकारी श्री अशोक पटेल ने प्रबंधकों को यह राशि फरवरी से अप्रैल 2024 के बीच दे भी दी थी, लेकिन जनवरी 2025 तक बोनस का वितरण नहीं हुआ।
  • बोनस वितरण में देरी: आदिवासी श्रमिकों को समय पर राशि न मिलने से संदेह गहराया और मामले की जानकारी ऊपर तक पहुँची। कहा जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर सरकारी धन 7-8 महीने तक बिना वितरण के प्रबंधकों के पास पड़ा रहा, जिसकी सूचना उच्च अधिकारियों को नहीं दी गई।

DFO पर आरोप

तेंदुपत्ता संग्रहकों का सांकेतिक चित्र
  • प्रबंध संचालक की भूमिका: श्री अशोक पटेल सुकमा के वनमंडलाधिकारी होने के साथ ही पदेन प्रबंध संचालक भी थे, जिनकी ज़िम्मेदारी थी कि तेंदूपत्ता बोनस की राशि आदिवासी श्रमिकों तक समय पर पहुँचाई जाए। आरोप है कि प्रबंधकों को राशि सौंपने के बाद उन्होंने कोई निगरानी नहीं रखी।
  • ई-भुगतान से परहेज़: सूत्रों के अनुसार, श्री पटेल ने सुकमा में पदभार ग्रहण करते ही ई-भुगतान प्रणाली को दरकिनार कर वन प्रबंधन समितियों के खातों में राशि डलवाई और फिर परिक्षेत्र अधिकारियों को नकद भुगतान करने के लिए प्रेरित किया। इस मामले की भी जाँच चल रही है।
  • लंबी बस्तर पोस्टिंग: बताया जाता है कि श्री पटेल राज्य वन सेवा से IFS अवार्ड के बीच अधिकतर समय बस्तर क्षेत्र में ही पदस्थ रहे। कवर्धा में मात्र दो वर्ष ACF के रूप में सेवा देने के बाद वे डीएफ़ओ बीजापुर और उपनिदेशक इंद्रावती टाइगर रिज़र्व बीजापुर में भी तैनात रहे। पिछली बार उनका तबादला बस्तर से बाहर हुआ था, पर वे प्रयास कर दोबारा सुकमा आ गए। अब सवाल उठ रहा है कि आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र में उनकी लंबी पोस्टिंग के पीछे क्या कारण रहे।

अन्य अनियमितताओं के आरोप

  • नरवा विकास योजना: राज्य CAMPA के तहत नरवा विकास योजना के अंतर्गत 19 कार्यों को बिना पूरा कराए ही करोड़ों रुपये निकाले जाने की शिकायत भी सामने आई है, जिसकी जाँच जारी है।
  • प्राथमिक जाँच में पुष्टि: CCF श्री रमेश चंद्र दुग्गा और वनमंडलाधिकारी श्री उत्तम गुप्ता की अध्यक्षता में गठित जाँच समिति ने प्राथमिक अनियमितताएँ पाए जाने की रिपोर्ट वन मुख्यालय को भेजी। वहीं से मामला अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) श्रीमती ऋँचा शर्मा तक पहुँचा, जिन्होंने इसे मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के संज्ञान में रखा।

मुख्यालय अटैच की अटकलें

मामले की गंभीरता को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि श्री अशोक पटेल को सुकमा वन मंडल से हटाकर जल्द ही मुख्यालय में अटैच किया जाएगा। इस संदर्भ में आधिकारिक आदेश शीघ्र जारी होने की संभावना है। वन विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि मामले की जाँच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।


निष्कर्ष

तेंदूपत्ता बोनस का समय पर वितरण आदिवासी श्रमिकों के हितों से सीधा जुड़ा है। इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका ने विभाग और सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अब सभी की नज़रें जाँच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे स्पष्ट होगा कि इस कथित घोटाले की वास्तविक जिम्मेदारी किसकी है और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, श्री अशोक पटेल की बस्तर से ‘बिदाई’ तय मानी जा रही है, और उनके लिए आगे की राह आसान नज़र नहीं आ रही।

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