० सभी ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में आनग्रिड सोलर संयंत्रों की स्थापना के लिए माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी स्वीकृति
रायपुर। प्रदेश में ऊर्जा के गैर परंरापरागत स्त्रोतों पर आधारित संयंत्रों व तकनीकों एवं ऊर्जा बचत के नये उपायों के बारे में जागरूकता के लिए ऊर्जा शिक्षा उद्यानों की स्थापना क्रेडा द्वारा किया गया है। वर्तमान स्थिति में प्रदेश में 07 ऊर्जा शिक्षा उद्यान रायपुर, पाटन, राजनांदगांव, जांजगीर चांपा जिले के कोटमी सोनार, कबीरधाम, बस्तर व बिलासपुर में संचालित हैं। इन ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा इत्यादि के संबंध में ज्ञान वर्धन के लिए विद्युत चलित माडल क्रेडा द्वारा स्थापित किये गये हैं, साथ ही रात्रि की अवधि में प्रकाश व्यवस्था के लिए स्ट्रीट लाईट, म्यूजिकल फाऊंटेन इत्यादि भी उक्त ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में स्थापित है।
राज्य के इन सभी ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में होने वाले बिजली खपत का Net Zero करने के लिए प्रदेश के 07 में से 06 ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में सोलर आनग्रिड संयंत्रों की स्थापना हेतु क्रेडा सी.ई.ओ.राजेश सिंह राणा के प्रस्ताव पर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा स्वीकृति दी गई है। चूंकि राजनांदगांव में संचालित ऊर्जा शिक्षा उद्यान में पूर्व से ही पर्याप्त क्षमता सोलर के पावर प्लांट्स की उपलब्धता है, अतः यहां संचालित ऊर्जा शिक्षा उद्यान में स्थापित सोलर पावर प्लांट्स के दुरूस्तीकरण के संबंध में क्रेडा सी.ई.ओ. राजेश सिंह राणा के प्रस्ताव पर भी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा स्वीकृति देते हुए उक्त दुरूस्तीकरण कार्य के उपरांत इस उर्जा शिक्षा उद्यान का भी Net Zero किये जाने के संबंध में स्वीकृति दी गई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव द्वारा इन ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में आनग्रिड सोलर संयंत्रों की स्थापना के लिए स्वीकृति दी गई हैः
ऊर्जा शिक्षा उद्यान-रायपुर में 20 एवं 10 कि.वाट अर्थात् कुल 30 कि.वाट, ऊर्जा शिक्षा उद्यान-बिलासपुर में 20 कि.वाट, ऊर्जा शिक्षा उद्यान-कोटमीसोनार (जांजगीर-चांपा) में 02 कि.वाट, ऊर्जा शिक्षा उद्यान-बस्तर में 5 कि.वाट, ऊर्जा शिक्षा उद्यान-कबीरधाम में 06 कि.वाट, ऊर्जा शिक्षा उद्यान-पाटन में 35 कि.वाट,इन ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में सोलर आनग्रिड पावर प्लांट्स की स्थापना से दिन के समय उपयोग होने वाले समस्त विद्युत उपकरण सौर संयंत्रों से ही संचालित होंगे एवं अतिरिक्त बिजली CSPDCL के ग्रिड में चली जायेगी, जिसका समायोजन रात्रि में होने वाले विद्युत खपत में से हो पायेगा।