जेसीसीजे का कांग्रेस में होगा विलय, रेणु जोगी ने लिखा पत्र, कहा- उम्मीद है पार्टी में जगह मिलेगी…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पत्नी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय करने की इच्छा जताई है। डॉ. जोगी ने पत्र में कहा कि दोनों पार्टियों की विचारधारा समान है, और जेसीसीजे की कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया जाए।

वहीं कांग्रेस में पार्टी का विलय किए जाने को लेकर रेणु जोगी से प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि, जेसीसीजे के नेतृत्व ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि कांग्रेस में विलय किया जाए, और यह विषय अब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के पास है, जो 25 दिसंबर के बाद इस पर अंतिम निर्णय लेगा।

रेणु जोगी ने आगे कहा कि कांग्रेस उनका परिवार रहा है, उनकी और उनकी पार्टी के विचारधारा भी कांग्रेस की ही विचारधारा है, इसलिए अब वह चाहती हैं कि पुराने परिवार में वापस लौट जाए। पार्टी का कांग्रेस में विलय करने को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने पत्र लिखकर कांग्रेस में जाने की इच्छा जताई है। उम्मीद है कि कांग्रेस आलाकमान उन्हें पार्टी में जगह देगा। वहीं भविष्य में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह भविष्य की बात है आने वाले समय में पता चलेगा।

 

उल्लेखनीय है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने वर्ष 2023 में राज्य के 90 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में 77 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा। इन परिणामों के बाद, जोगी परिवार ने कांग्रेस पार्टी में विलय का निर्णय लिया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इस पत्र की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें यह पत्र प्राप्त हुआ है और इस पर 25 दिसंबर के बाद निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से नेता जो पार्टी छोड़कर गए थे, अब कांग्रेस में वापस आने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं।

गौरतलब है कि 2016 में अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को कांग्रेस से निष्कासित किया गया था, जब उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और अंतागढ़ उपचुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे। इसके बाद जोगी ने अपनी पार्टी की नींव रखी थी। 2018 में उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन उन्हें 90 में से केवल सात सीटें ही मिल पाईं, जिनमें उनकी पार्टी की पांच सीटें थीं।

 

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