आज का इतिहास : आज के दिन हुई थी नेपाल के शाही परिवार की हत्या, जानें आज का दिलचस्प इतिहास

आज है अभिनेत्री नरगिस दत्त की जयंती।आज हुआ था नेपाल में शाही हत्याकांडहर दिन का अपना इतिहास होता है, और एडिटरजी हिंदी पर हम आपके लिए लेकर आते हैं, हर दिन के इतिहास की कहानी. आज इतिहास के पहले हिस्से में बात करेंगे नेपाल की. आज की तारीख नेपाल में एक बड़ी घटना की गवाह है.

1 जून 2001 को नेपाल के शाही परिवार के 9 सदस्यों को उनके ही राजमहल में गोली मार दी गई थी. गोली चलाने वाला कोई और नहीं बल्कि उसी राज परिवार के राजा का बेटा था जो आने वाले वक्त में गद्दी का वारिस बनता. कहानी जितनी सरल दिखाई देती है उतनी है नहीं.

1 जून 2001 को नारायणहिती पैलेस में जो कत्लेआम हुआ उसमें कई तरह के सवाल अनसुलझे छूट गए. उससे कई कॉन्सपिरेसी थ्योरीज पैदा हुईं जैसे कि क्या शाही परिवार की हत्या के पीछे दूसरे देशों की एजेंसियों का हाथ था? क्या कत्लेआम से पहले प्रिंस दीपेंद्र की हत्या कर दी गई थी? जब गोलियां चली तब शाही परिवार के सुरक्षा गार्ड्स कहां थे? सबसे बड़ा सवाल कि इस कत्लेआम की वजह क्या थी? आइये सभी सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं.1 जून के कत्लेआन की कहानीसबसे पहले कहानी 1 जून 2001 के कत्लेआम की.

22 साल पहले नेपाल के शाही महल के त्रिभुवन सदन में एक पार्टी चल रही थी. जिसमें महाराज बीरेंद्र और महारानी एश्वर्या समेत राजपरिवार के एक दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद थे. युवराज दीपेंद्र पार्टी को हेस्ट कर रहे थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दीपेंद्र काफी नशे में थे और नशे की हालत में उन्हें उनके कमरे में पहुंचाया गया. रात 8 बजे के करीब दीपेंद्र अचानक कमरे से बाहर निकले. दीपेंद्र ने सैनिक वर्दी पहन रखी थी और हाथ में काले दस्ताने पहने हुए थे. उनके एक हाथ में MP5K सबमशीन गन थी और दूसरे हाथ में कोल्ट एम-16 राइफल और उनकी वर्दी में 9 MM पिस्टल लगी थी.दीपेंद्र ने अपने पिता राजा बीरेंद्र की तरफ देखा और सबमशीन गन का ट्रिगर दबा दिया. शाही परिवार के सदस्यों ने खुद को बचाने की कोशिश की लेकिन कुछ मिनटों में ही वहां परिवार के कई सदस्यों की लाशें बिछ चुकी थीं.गोलीबारी करने के बाद दीपेंद्र कमरे से बाहर गार्डन की तरफ निकल गए और उनकी मां महारानी एश्वर्या और दीपेंद्र के छोटे भाई निराजन उनके पीछे भागे. दीपेंद्र ने उन्हें भी गोलियों से छलनी कर दिया. जिसके बाद दीपेंद्र ने गार्डन के बाहर तालाब के पास खुद को सिर में गोली मार ली. हालांकि, इस गोलीबारी के बाद भी महाराज बीरेंद्र और उनके कातिल बेटे दीपेंद्र की सांसे चल रही थीं. उनके साथ-साथ बाकी घायलों को भी हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन महाराज बीरेंद्र सिंह बिक्रम शाह देव को बचाया नहीं जा सका. वहीं, दीपेंद्र की सांसे चल रही थीं.इस कत्लेआम के 14 घंटे बाद अगले दिन 2 जून को नेपाल की जनता को 11 बजे के करीब महाराज बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह के निधन की खबर दी गई और उनके ही कातिल बेटे दीपेंद्र को राजा घोषित कर दिया गया

इतिहास के दूर हिस्से में बात करेंगे बॉलीवुड की मरहूम अभिनेत्री नरगिस दत्त की.1 जून को नरगिस दत्त का जन्म हुआ था.एक जून 1929 को जन्मीं नरगिस दत्त ने अपने फिल्मी सफर में कई शानदार फिल्में दीं. नरगिस ने साल 1935 फिल्म तलाश-ए-हक से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की.1949 में उन्होंने महबूब खान की फिल्म अंदाज से बतौर लीड एक्ट्रेस डेब्यू किया था.राज कपूर के साथ उन्होंने बरसात, आवारा और आग जैसी हिट फिल्में दीं.नरगिस दत्त बॉलीवुड का जाना माना नाम है.उन्होंने इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक कई बेहतरीन फिल्में दी है.उनका नाम आते ही जहन में फिल्म मदर इंडिया की महबूब खान की तस्वीर बन जाती है.महज 28 साल की उम्र में उन्होंने सुनील दत्त और राजेन्द्र कुमार की मां का किरदार निभाकर हर किसी को चौंका दिया था.उनके अभिनय की हर कोई प्रशंसा करता है.हिंदी सिनेमा की महान अभिनेत्रियों में उनकी गिनती होती है.नरगिस दत्त ने अपने करियर में कई शानदार फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय के बल पर लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई.नरगिस अपने बेटे संजय दत्त के बेहद करीब थीं.आज भले ही नरगिस इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे संजय दत्त उन्हें अक्सर याद करते हैं और उनके साथ बिताए पलों की तस्वीरें भी शेयर करते हैं.साल 1981 में 51 साल की उम्र में कैंसर के कारण नरगिस दत्त का निधन हो गया था.

देश दुनिया के इतिहास में एक जून की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1819 : बंगाल में सेरमपुर कालेज की स्थापना

1835 : कलकत्ता मेडिकल कॉलेज ने कामकाज शुरू किया

1874 : ईस्ट इंडिया कंपनी को भंग किया गया

1929 : फिल्म ‘मदर इंडिया’ में हिन्दी फिल्मों की सबसे यादगार मां का किरदार निभाने वाली नरगिस दत्त का जन्म

1930 : भारत की पहली डीलक्स रेलगाड़ी डक्कन क्वीन को बॉम्बे वी टी और पुणे के बीच शुरू किया गया

1955 : अस्पृश्यता (निरोधक) कानून अस्तित्व में आया1964 : नया पैसा से नया शब्द हटाकर इसे अब पैसा कहा जाने लगा

1970: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैरॉल्ड विल्सन पर एक चुनावी सभा के बाहर अंडा फेंका गया

1979: रोडेशिया में 90 साल बाद अल्पसंख्यक श्वेत लोगों के शासन का अंत हुआ और घोषणा हुई और देश को नया नाम मिला जिम्बाब्वे

1980 : टेड टर्नर के केबल न्यूज नेटवर्क (सीएनएन) ने 24 घंटे का समाचार प्रसारण शुरू किया

1996 : एच डी देवगौड़ा देश के 11वें प्रधानमंत्री बने

1999 : मध्य चीन के ह्यूबी प्रान्त में 770-256 ईसा पूर्व की तीन सौ प्राचीन क़ब्रों की खोज

1999 : अमेरिका के हवाई विश्वविद्यालय में नर चूहे का प्रतिरूप विकसित

2001 : नेपाल के शाही परिवार के नरेश वीरेन्द्र विक्रम शाह, उनकी पत्नी और शाही परिवार के कई अन्य सदस्यों की नृशंस हत्या, युवराज दीपेन्द्र द्वारा भी आत्महत्या का प्रयास, ज्ञानेन्द्र कार्यवाहक नरेश बने

2004 : इराकी प्रशासकीय परिषद के प्रमुख सुन्नी नेता गाजी मशाल अजीज अल यावर इराक के नये राष्ट्रपति बने

2005 : अप्पा शेरपा ने माउंट एवरेस्ट की 15वीं बार सफल चढ़ाई की

2006 : चीन के दक्षिण पूर्वी जियांग्शी प्रान्त के शांगीपन गांव में आदि मानव के पदचिह्न मिले

2006 : ईरान ने परमाणु शोध कार्यक्रम पर अमेरिका के साथ किसी प्रकार के समझौते से पूरी तरह इन्कार किया

2014: नाइजीरिया में फुटबाल के मैदान में हुए विस्फोट में 40 लोगों की मौत

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