RBI गवर्नर ने बताई तारिख…बढ़ती महंगाई से इस दिन मिलेगी राहत

 नई दिल्ली:  भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि इस महीने से खुदरा महंगाई में कमी की शुरुआत हो सकती है.उन्होंने टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतों में कमी के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बंदिशों और घरों में इस्तेमाल होने वाले रसोई गैस सिलेंडर के दामों में कटौती को लेकर केंद्र सरकार के कदमों का हवाला देते हुए यह बात कही.

 

 

दास, स्थानीय विद्यार्थियों से संवाद के लिए इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इससे पहले, उन्होंने रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में भी हिस्सा लिया था.रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा,‘‘हम उम्मीद करते हैं कि सितंबर से खुदरा महंगाई घटने की शुरुआत हो जाएगी. हालांकि, अगस्त की (खुदरा) महंगाई दर बहुत ज्यादा रहेगी,लेकिन सितंबर से महंगाई कम होनी शुरू हो सकती है.’’ उन्होंने कहा कि टमाटर के दाम पहले ही गिर चुके हैं और इस महीने से अन्य सब्जियों के खुदरा मूल्य भी घटने की उम्मीद है.

 

 

उठाए गए कई कदम-

दास ने कहा कि सरकार ने लोगों को टमाटर (tomato) और आम जरूरत की अन्य चीजों की किफायती दाम पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा,‘‘गैर बासमती चावल के निर्यात पर बंदिशें लगाई गई हैं. घरों में इस्तेमाल होने वाले रसोई गैस सिलेंडर के दामों में हाल ही में कटौती की गई है.’’

 

 

महंगाई में आया तेज उछाल-

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सब्जियों समेत मुख्य रूप से खाने का सामान महंगा होने से इस साल जुलाई में खुदरा महंगाई दर उछलकर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले 15 महीने के दौरान इसका सबसे ऊंचा स्तर था.जून में यह 4.81 प्रतिशत थी. आरबीआई (rbi) को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा,‘‘जुलाई में (खुदरा) महंगाई की दर बहुत ऊंचे स्तर पर रही थी.इससे सबको आश्चर्य हुआ. लेकिन मुख्य तौर पर टमाटर और अन्य सब्जियों के दाम ज्यादा होने के कारण हम उम्मीद कर रहे थे कि जुलाई में यह ज्यादा ही रहेगी.’’

 

 

भारत के बैंकों की स्थिति मजबूत-

उन्होंने यह भी कहा कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. दास ने कहा कि नियमन के पुख्ता उपायों के कारण भारतीय बैंकों की स्थिति सुदृढ़ और स्थिर है, “लेकिन घरेलू वित्तीय जगत को हमेशा मुस्तैद रहने की जरूरत है.”उन्होंने कहा, “आपने हाल ही में अमेरिका (america) के कुछ बैंकों और स्विट्जरलैंड में क्रेडिट सुइस जैसे बड़े बैंक को नाकाम होते देखा होगा. लेकिन इस वैश्विक उथल-पुथल का भारत पर कोई असर नहीं हुआ.”दास ने यह भी कहा कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिए जाने के कारण देश में अगस्त के दौरान यूपीआई के जरिये लेन-देन की संख्या 10 अरब के पार पहुंच गई.

 

 

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