रायपुर। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा समृद्ध जंगल, जमीन, पर्यावरण, आजीविका और आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए हरिहरपुर में चलाये जा रहे अनिश्चितकालीन धरने को 550 से अधिक दिन हो चुके हैं। इस मौके पर आयोजित सभा में आंदोलन के आगे की रूपरेखा तय की गई।
सिर्फ शपथ पत्र देने से काम नही चलेगा
धरने में बैठे आदिवासियों ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह शपथ पत्र दिया है कि वर्तमान संचालित खदान के अलावा कोई अन्य नई कोयला खदान हसदेव अरण्य क्षेत्र में नही खुलनी चाहिए । सरकार के इस निर्णय का हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने स्वागत करते हुए मांग की है कि शपथ पत्र अनुसार परसा कोल ब्लॉक को दी गई पर्यावरण और वन स्वीकृति को भी राज्य सरकार तत्काल निरस्त करे। सिर्फ शपथ पत्र देने से काम नही चलेगा ।
इस मौके पर निर्णय लिया गया कि हसदेव की महिलाओं का समूह प्रदेश की विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में जाकर हसदेव को बचाने के लिए जनता से अपील करेंगी।
फर्जी ग्रामसभा की अब तक नहीं हुई जांच
धरने को संबोधित करते हुए रामलाल कारियम, मुनेश्वर पोर्ते, सुनीता पोर्ते आदि ने कहा कि हमने पदयात्रा करके मुख्यमंत्री से मुलाकात की लेकिन आज तक हमारे गांव की फर्जी ग्रामसभा की जांच नहीं हुई। राज्य सरकार यदि हसदेव को बचाना चाहती है तो कोल ब्लॉक को दी गईं अनुमतियां निरस्त क्यों नहीं करती?
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक सदस्य आलोक शुक्ला, बिलासपुर से प्रथमेश मिश्रा, रतीश श्रीवास्तव, चंद्र प्रदीप बाजपेयी सहित ग्राम लोखंडी से नारी शक्ति समूह की महिलायें भी बड़ी संख्या में पहुंची।
बिलासपुर से आए कवि व लेखक अजय पाठक ने कहा कि आज जो लोग खदान का समर्थन करते हैं, वे कल पछताएंगे। जंगल उजड़ जायेगा, कोयला निकल जायेगा, उसके बाद सिर्फ विनाश ही रह जायेगा। गौरतलब है कि कई जिलों तक फैसे हसदेव अरण्य में कोयला खदान शुरू करने के प्रयासों का इलाके के लोगों ने जमकर विरोध किया और धरना प्रदर्शन शुरू किया। बीते 550 दिनों से प्रदर्शन जारी है। इस बीच राज्य सरकार ने हसदेव अरण्य में अब कोई भी कोयला खदान नहीं देने की बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। ग्रामीणों की मांग है कि जब राज्य सरकार ने शपथ पत्र दिया है तो वह परसा कोल ब्लॉक को दी गई पर्यावरण और वन स्वीकृति को भी निरस्त करे।