नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में लक्षद्वीप से लोकसभा सदस्य मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित करने के केरल होई कोर्ट के आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया। साथ ही इस मामले में 6 सप्ताह के भीतर नए सिरे से फैसला लेने के लिए इसको पुन: हाई कोर्ट को वापस भेज दिया है।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने हालांकि सांसद को अयोग्यता की किसी आशंका से बचा लिया और कहा कि पूर्व आदेश के तहत संरक्षण 6 सप्ताह तक जारी रहेगा। हाई कोर्ट को इस अवधि में लक्षद्वीप प्रशासन की नई याचिका पर फैसला करना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में सांसद मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि, सजा को निलंबित करने में केरल हाई कोर्ट का दृष्टिकोण त्रुटिपूर्ण था।
2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पी. एम. सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के आरोप में लक्षद्वीप के कवरत्ती में एक सत्र अदालत ने 11 जनवरी, 2023 को फैजल और 3 अन्य को 10-10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
इस आदेश के खिलाफ फैजल ने केरल हाई कोर्ट का रुख किया और उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी को फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वह निचली अदालत के आदेश के खिलाफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता की अपील का निपटारा होने तक उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर रहा है। इसमें कहा गया है कि ऐसा नहीं करने से उनके द्वारा खाली की गई सीट पर दोबारा चुनाव होगा जिससे सरकार और जनता पर वित्तीय बोझ पड़ेगा।
लक्षद्वीप प्रशासन ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया और 30 जनवरी को शीर्ष अदालत लक्षद्वीप प्रशासन की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई। शीर्ष अदालत ने 29 मार्च को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सदस्यता बहाल करने की लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना के मद्देनजर संसद सदस्य के रूप में अपनी अयोग्यता के खिलाफ फैजल की अलग याचिका का निपटारा कर दिया था।