यहां 77 साल बाद पहली बार फहराया गया तिरंगा, आत्मसमर्पित नक्सलियों ने भी तिरंगे को दी सलामी

दंतेवाड़ा। इस साल देशभर में राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस बीच दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित गांवो बुरगुम, तुमरीगुंडा और बड़ेगादम में तिरंगा फहराया गया। सबसे अहम ये है कि ऐसा आजादी के 77 साल बाद मुमकिन हुआ। 15 अगस्त को जिला पुलिस, बस्तर फाइटर्स और ग्रामिणों की मौजूदगी में इन तीनों गांवों तिरंगा फहराया गया। इस अवसर पर सबसे खास बात ये रही कि जो नकस्ली कभी तिरंगे का विरोध करते थे, वो भी अब सरेंडर के बाद उसे सलामी देते नजर आए। दरअसल दतेंवाड़ा जिले के ये तीनों गांव माओवादियों की हिंसा के कारण अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखे गए हैं। इन तीनों गावों में नक्सलियों की ओर से हमेशा ही स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार किया जाता है। नक्सली स्वतंत्रता दिवस के दिन यहां के अंदुरनी इलाकों में काले झंडे फहराते हैं और इस दिन का विरोध करते हैं. तुमरीगुंडा इंद्रावती नदी के दूसरी ओर पर हैं। यहां घना जंगल है. पुलिस और बस्तर फाइटर्स के जवानों ने यहां पर आकर तिरंगा फहराया है।

दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने क्या कहा
बता दें दंतेवाड़ा रेंज के डीआईजी कमललोचन कश्यप, जिले के एसपी गौरव राय ने इस बार नक्शल प्रभावित इन गावों में तिरंगा फहराने की रणनीति तैयार की। इसके बाद इन गावों में पुलिस फोर्स पहुंची और आजादी के पहली बार इन नक्सल प्रभावित गांवों में तिरंगा फहराया गया। यही नहीं नक्सलियों की दहशत के बाद भी ध्वजारोहण के दौरान ग्रामिण और बच्चे भी पहुंचे। वहीं दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने कहा कि इस नक्सलगढ़ में अब नक्सलियों की जड़ कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि अब वो दिन दूर नहीं रह गया है जब ग्रामिण नक्सलवाद के डर से पूरी तरह आजाद हो जाएंगे ओर खुलकर स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएंगे। इतना ही नहीं एसपी गौरव राय ने आगें कहा कि सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति और लोन वर्राटू अभियान के तहत नक्सली हथियार डाल रहे हैं। अब तक 615 नक्सली नकस्लवाद का रास्ता छोड़ चुके हैं।

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