ओडिशा-छत्तीसगढ़ जल विवाद गहराा: बेसिन से अधिक पानी की मांग पर ट्रिब्यूनल ने दोनों राज्यों को दिया मौका

रायपुर
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच दशकों पुराने महानदी जल बंटवारे के विवाद (Mahanadi Water Dispute) में फिलहाल कोई निर्णायक मोड़ नहीं आया है। ओडिशा द्वारा गर्मियों के दौरान बेसिन से अधिक पानी की मांग पर एक बार फिर छत्तीसगढ़ ने असहमति जताई है। इस गतिरोध के बीच, महानदी जल विवाद ट्रिब्यूनल ने दोनों राज्यों को आपसी सहमति से समाधान खोजने का एक और मौका दिया है। अब इस अहम प्रकरण पर अगली सुनवाई 20 दिसंबर को निर्धारित की गई है।

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई, जहां दोनों राज्यों ने अपने-अपने तर्क रखे। छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि गर्मियों के महीनों में नदी में पानी की उपलब्धता कम रहती है, ऐसे में अतिरिक्त पानी ओडिशा को देना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल ने कोई निष्कर्ष निकालने से पहले दोनों राज्यों को एक सहमति पत्र के साथ आने का मौका दिया है। विवाद को सुलझाने के लिए गठित इस ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज श्रीमती बेला त्रिवेदी कर रही हैं।
 
टेक्निकल कमेटी पर दारोमदार
20 दिसंबर की सुनवाई से पहले मामले को सुलझाने का दारोमदार टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी पर है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा की यह तकनीकी समिति गर्मियों में पानी की उपलब्धता का दोबारा मूल्यांकन करेगी और सुनवाई से पहले किसी नतीजे पर पहुंचने की कोशिश करेगी। यह कमेटी बेसिन का एक दौरा पहले ही पूरा कर चुकी है।

द्वय राज्यों के मुख्यमंत्री स्तर पर भी प्रयास
विवाद सुलझाने के लिए राजनीतिक स्तर पर भी लगातार प्रयास जारी हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहनचरण मांझी के बीच दिल्ली में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में विवाद सुलझाने पर जोर दिया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम के रूप में बेसिन पर निर्माणाधीन एक-दूसरे के प्रोजेक्ट को पूरा करने पर सहमति बनी थी, हालांकि जल बंटवारे पर मूल गतिरोध बरकरार है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार द्वय राज्यों में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है इसलिए इस बार सुलह की उम्मीद अधिक है। अगस्त 2025 में भी दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और जल संसाधन विभाग के सचिवों की एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें दिसंबर 2025 तक समाधान निकालने का लक्ष्य रखा गया था। इन बैठकों के बावजूद अब मसला 20 दिसंबर की ट्रिब्यूनल सुनवाई पर टिक गया है।

विवाद का लंबा इतिहास
यह जल विवाद 1983 से चला आ रहा है और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है। ओडिशा का मुख्य आरोप यह है कि छत्तीसगढ़ ने अपनी सीमा में कई बैराज बनाकर ओडिशा के संबलपुर जिले में स्थित हीराकुंड बांध में पानी के प्राकृतिक प्रवाह को रोका है। इसके जवाब में छत्तीसगढ़ का तर्क है कि वह केवल अपने हिस्से के पानी का ही उपयोग कर रहा है।

महानदी से जुड़े प्रमुख तथ्य
    कुल लंबाई: 885 किलोमीटर।
    उद्गम स्थल: सिहावा पर्वत (धमतरी)।
    सहायक नदियां: शिवनाथ, हसदेव, जोंक, तेल, पैरी, सोंढूर, अरपा।
    विवाद का केंद्र: छत्तीसगढ़ में रुद्री बैराज और गंगरेल बांध; ओडिशा में हीराकुंड बांध।

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786