तरनतारन
ऐतिहासिक विजयी किसान आंदोलन की 5वीं सालगिरह पर संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में 26 नवंबर को एक बड़ी किसान और मजदूर रैली करने का ऐलान किया है। इसकी तैयारियों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा जिला तरनतारन की एक मीटिंग एस.के.एम. जिला तरनतारन के कन्वीनर नछत्तर सिंह मुगल चक की अध्यक्षता में हुई।
इस संबंध में तरसेम सिंह लुहार व मनजीत सिंह बग्गू ने कहा कि संगठन द्वारा तय कोटे के अनुसार तरनतारन जिले से किसान पूरे जोश के साथ पहुंचेंगे। पंजाब सरकार और खासकर केंद्र सरकार की किसानों और मजदूरों के लिए नुक्सानदायक नीतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की भी एस.पी. सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान तीन लोक देख कानून वापस लेने का वादा किया था कि सभी फसलों और एम.एस.पी. का दाम स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिया जाएगा, लेकिन मामला जस का तस है। इसके उल्ट, पंजाब यूनिवर्सिटी पर कब्जा करने और पंजाब राज्य की राजधानी चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने के बजाय, केंद्र सरकार उस पर पूरी तरह से कब्जा कर रही है। पंजाब के पानी को लूटा जा रहा है।
पंजाब के खेती के सामान का व्यापार वाघा बॉर्डर व हुसैनीवाला बॉर्डर के बजाय गुजरात के रास्ते पाकिस्तान से हो रहा है, जिससे पंजाब के किसानों, मजदूरों और व्यापारियों को भारी नुक्सान हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा के शीतकालीन सत्र में कानूनी संशोधन के जरिए चंडीगढ़ को पंजाब से हमेशा के लिए छीनने के प्रस्ताव की कड़ी निंदा की गई।
किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार कांग्रेस सरकारों से भी बड़ी पंजाब की दुश्मन साबित हो रही है। पंजाबी इस धक्के को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को पूरा मुआवजा नहीं दिया है, इसलिए इन गांवों के लोगों को कम से कम एक लाख रुपए की मदद दी जानी चाहिए, जिसमें सत्तर हजार रुपए प्रति एकड़ और दस लाख रुपए प्रति घर के नुक्सान के हिसाब से शामिल हैं।
इस मौके पर दूदलजीत सिंह दयालपुरा, बलबीर सिंह झामका, दलविंदर सिंह पन्नू, गुरसाहिब सिंह दल, दिलबाग सिंह लखोवाल, गुरचरण सिंह सबरा, पूरन सिंह मरीमेघा, गुरबचन सिंह घरका, हरजीत सिंह रवि, तरसेम सिंह कलसी, सतपाल सिंह नथोके, दया सिंह अलादीनपुर, सुखदेव सिंह तूर, भूपिंदर सिंह पंडोरी तख्तमल, अमृत पाल सिंह जोड़ा आदि मौजूद थे।









