कभी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण, और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध रहा केशकाल आजकल एक भयावह वजह से सुर्खियों में है—
जर्जर सड़कें, गड्ढों के शहर में बदला केशकाल, और मौत का हाईवे।
केशकाल (छत्तीसगढ़) | 4thpiller.com रिपोर्ट
केशकाल की जर्जर सड़कों के कारण लगातार बढ़ते हादसों ने पूरे क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल बना दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-30 पर CAF जवान की मौत से लेकर डीज़ल टैंकर और बाइक की टक्कर में तीन युवकों की जान जाने जैसे हादसों ने सड़क की भयावह स्थिति को खुलेआम उजागर किया है। इसके बावजूद स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
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🔴 लगातार हादसे, सड़क बनी मौत का रास्ता
✔ CAF जवान की दर्दनाक मौत
राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर CAF जवान की बाइक ट्रक से टकरा गई। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढों और उबड़-खाबड़ सतह ने उसकी बाइक को असंतुलित कर दिया और जवान ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
✔ डीज़ल टैंकर से टक्कर – तीन युवकों की मौके पर मौत
केशकाल क्षेत्र में एक अन्य हादसे में डीज़ल टैंकर व बाइक की भिड़ंत में तीन युवकों की जान चली गई। सड़क की स्थिति इस हादसे की प्रमुख वजह बताई गई।
✔ टोचन हादसा – बड़ा हादसा टला
त्रुटिपूर्ण सड़क और अव्यवस्थित ट्रैफिक के कारण टोचन के दौरान रस्सी टूट गई और ट्रक डिवाइडर से लटक गया। यह हादसा किसी बड़ी त्रासदी में बदल सकता था।
🔴 5 किलोमीटर सड़क नहीं, मौत की घाटी — जनता बेहाल
केशकाल–जगदलपुर मार्ग पर लगभग 5 किमी सड़क पूरी तरह जर्जर है। बाइक चलाना मुश्किल, कार चलाना खतरनाक और पैदल चलना भी जोखिम भरा हो चुका है।
गड्ढों में पानी भर जाने से सड़क का कोई हिस्सा नजर नहीं आता। बारिश में यह मार्ग जानलेवा बन जाता है।
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🔴 जनता का गुस्सा फूटा — विरोध, ज्ञापन, और “गड्ढों का शहर” बोर्ड
स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन को जगाने की कोशिश की:
SDM को ज्ञापन
सड़क पर धरना–प्रदर्शन
शहर में “गड्ढों का शहर – मेरा केशकाल” बोर्ड लगाना
गड्ढों में पौधे लगाना
सोशल मीडिया पर सड़क की तस्वीरें वायरल करना
लेकिन इन सबके बावजूद नेताओं का रुख अब भी ठंडा है।
नेताओं की मौजूदगी, पर राजनीति सिर्फ मंच तक — जनता की बात कोई नहीं उठाता

केशकाल में नेताओं की कोई कमी नहीं है।
सभी पार्टियों के नेता है…
विधायक — BJP का
सांसद — BJP का
राज्य सरकार — BJP की
फिर क्यों नहीं बनी सड़क?
किसके खिलाफ आंदोलन करें जनता?
किससे पूछे?
किसे जिम्मेदार ठहराए?
नेताओं की तस्वीरें तो हर जन्मदिन में,
हर स्वागत समारोह में,
हर छोटे–बड़े कार्यक्रम में
शहर की दीवारों पर दिखाई देती हैं।
लेकिन जब जनता कहती है —
“सड़क बनवाइए”
तो नेता चुप हो जाते हैं।
जब जनता कहती है —
“हमारे बच्चे मर रहे हैं”
तो नेता विषय बदल देते हैं।
जब जनता कहती है —
“आप कैबिनेट मंत्री हैं, कुछ कीजिए”
तो नेता बस मुस्कुराकर फोटो खिंचवा लेते हैं।
केशकाल की छूट भैय्या सहित जनता कह रही है —
“हमारी राजनीतिक छवि खराब हो रही है”
पर बीजेपी के स्थानीय नेता मौन हैं।
लोगों का कहना है —
यहां नेताओं में यह कहने की हिम्मत ही नहीं है कि
‘मंत्री जी, पहले सड़क बनवाइए, नहीं तो हम आपके साथ नहीं चल पाएंगे।’
नेताओं की राजनीति जनता की मौत पर भारी पड़ गई है।
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🔴 8.199 करोड़ का टेंडर जारी — लेकिन ठेकेदार ही नहीं मिला
सड़क मरम्मत के लिए ₹8 करोड़ 199 लाख का टेंडर जारी हुआ था। पर हैरानी की बात यह है कि–
कोई भी ठेकेदार इस कार्य में उतरने को तैयार नहीं हुआ।
इससे सवाल उठते हैं—
क्या शर्तें गलत थीं?
क्या ‘सिस्टम’ में कोई गड़बड़ी है?
क्या यह लापरवाही जानबूझकर की गई?
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🔴 BJP विधायक–सांसद–सरकार, फिर भी सड़क क्यों नहीं बनी?
यहां सबसे अहम बात यह है:
विधायक BJP का
सांसद BJP का
राज्य सरकार BJP की
इसके बावजूद सड़क नहीं बनी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नेताओं में यह तक कहने की हिम्मत नहीं है कि—
“मंत्री जी, सड़क बनवाइए… नहीं तो हम जनता के बीच कैसे जाएँ?”
नेता बस फ़ोटो, बैनर, पोस्टर और मंच साझा करने में लगे रहते हैं।
जनता की आवाज़ उनके भाषणों में खो जाती है।
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🔴 अधिकारी नहीं, जिम्मेदार राजनीति है
अधिकारी वही करते हैं जो सरकार निर्देश देती है।
इस मामले में पूरी जिम्मेदारी राजनीतिक नेतृत्व की है।
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🔴 जनता का बड़ा सवाल — क्या सड़क 1 माह में बनेगी?
केशकाल बंद के बाद प्रशासन ने दावा किया है कि—
✔ “एक माह में सड़क पूरी तरह तैयार हो जाएगी।”
लेकिन जनता संशय में है, क्योंकि:
एक साल से सड़क जर्जर है
कई बार वादा हो चुका
टेंडर प्रक्रिया भी विफल रही
मरम्मत केवल कागज़ों में दिखती रही
अब केशकाल वासी इंतजार कर रहे हैं कि
क्या इस बार वादा पूरा होगा
या फिर उन्हें एक और आंदोलन करना पड़ेगा?
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“एक माह में सड़क बनेगी” — प्रशासन का दावा, जनता को शक
केशकाल बंद के जबरदस्त समर्थन के बाद सड़क मरम्मत का आश्वासन दिया गया है। कहा गया है कि पूरा कार्य 1 माह में समाप्त कर दिया जाएगा।
लेकिन यहां के निवासियों का कहना है—
“अगर 1 माह में सड़क नहीं बनी,
तो केशकाल फिर से आंदोलन के लिए तैयार है।”









