विदेशी बॉस और देसी मैडम का गठजोड़ उजागर—NCB ने 262 करोड़ के सिंथेटिक ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया

 नई दिल्ली 
दिल्ली–एनसीआर के बीचों-बीच चल रहे एक हाई-प्रोफाइल सिंथेटिक ड्रग नेटवर्क की परतें उस वक्त खुलनी शुरू हुईं, जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने दिल्ली के एक फार्महाउस पर रेड मारी. किसी भी रूटीन छापे की तरह शुरू हुए इस ऑपरेशन में ऐसे क्लू मिले जिससे आगे चलकर 200 करोड़ से ज्यादा की ड्रग पकड़ी गई. 

अधिकारियों  के मुताबिक यह केस सिर्फ ड्रग पकड़ने का नहीं है बल्कि एक ऐसे अदृश्य नेटवर्क को उजागर करने का है, जिसे विदेशी ऑपरेटर अपने भारतीय ग्राउंड स्टाफ के जरिए रिमोट से कंट्रोल कर रहे थे. और इस नेटवर्क के बीचोबीच खड़ा था एक 25 साल का युवक शेन वारिस जो खुद को कंपनी का सेल्स मैनेजर बताता रहा, लेकिन अंदर से इस पूरे रैकेट का भरोसेमंद रनर मिला.

डियो/फोटो बॉस को भेजना अनिवार्य था. पूरी बातचीत ऐसे चलती थी मानो कोई वीडियो गेम का रिमोट कंट्रोलर विदेश से भारत में मौजूद चरित्र को चला रहा हो.

अचानक उभरा एक नाम एस्थर किनिमी

पूछताछ के दौरान शेन ने एक और नाम खखेला. एस्थर किनिमी, नागालैंड की रहने वाली, दिल्ली में किराए के एक फ्लैट में रहने वाली महिला का. यही एस्थर, शेन के मुताबिक, पहले भी एक कंसाइनमेंट उसे हैंडओवर कर चुकी थी, जिसे बाद में एक पोर्टर राइडर के जरिए आगे भेजा गया था. शेन ने न सिर्फ उसका पता दिया, बल्कि फोन नंबर और उसके नेटवर्क से जुड़े कुछ और संदिग्धों का ज़िक्र भी किया. यह इनपुट NCB के लिए ब्रेकथ्रू मोमेंट था. 20 नवंबर की रात लगभग 11 बजे, NCB की टीम चुपचाप छतरपुर एन्क्लेव फेज-2 पहुँची. चार मंज़िला जैन हाउस की चौथी मंज़िल का एक फ्लैट यही था एस्थर का ठिकाना. दरवाज़ा खुलते ही टीम को कमरे में फैली एक अजीब-सी गंध महसूस हुई. कुछ ही मिनटों में अलमारी, बेडबॉक्स और स्टोर रूम की सर्च शुरू हुई. उसके बाद जो सामने आया उसने टीम को भी कुछ क्षणों के लिए रोक दिया . 328.54 किलो मेथाम्फेटामाइन.

इंटरनेशनल मार्केट वैल्यू करीब 262 करोड़ रुपये से भी ज्यादा

बैगों में भरी दर्जनों पैकेट्स, हर पैकेट पर विदेशी पैकिंग की सील और कमरे में मौजूद पाउडर के कण. यह बरामदगी दिल्ली–एनसीआर की सबसे बड़ी सिंथेटिक ड्रग पकड़ों में शामिल हो गई. एस्थर को वहीं से गिरफ्तार कर लिया गया. जांच में पता चला कि  ड्रग बनाने वाले लैब्स देश से बाहर थे लॉजिस्टिक्स को देश के अलग-अलग शहरों से कंट्रोल किया जाता था. हर रनर को सिर्फ उसका हिस्सा पता होता था. बताया जा रहा है कि उनकी पेमेंट पूरी तरह डिजिटल और मल्टी-लेयर चैन के जरिये होती थी. शेन और एस्थर जैसे लोग नेटवर्क की फॉरवर्ड यूनिट थे जो सिर्फ हैंडलिंग और मूवमेंट देखते थे. असली ऑपरेटर विदेश में बैठा था. न ही उसका नाम सामने आया और न ही लोकेशन अभी तक स्पष्ट है. लेकिन शेन के फोन से मिले डेटा, कॉल लॉग और क्लाउड बैकअप ने साफ कर दिया कि यह एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का हिस्सा है. 

तीन दिनों तक चला ऑपरेशन, कई राज्यों में भेजे गए अलर्ट

NCB ने इस पूरे घटनाक्रम के दौरान तीन दिन में कई लोकेशनों पर रेड कीं. राजधानी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, अमरोहा और पंजाब के कुछ पॉइंट्स तक इनपुट भेजे गए. टीम ने स्पष्ट किया है कि  नेटवर्क के कम से कम 7 और लोग सक्रिय भूमिका में हैं.  कुछ लोग कूरियर/राइडर के रूप में इस्तेमाल हुए. कुछ लोग किराए के फ्लैट के इंतजाम करते थे. फंडिंग चैनल अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. विदेशी बॉस कौन है इस पर इन्वेस्टिगेशन जारी है. ड्रग के पैकेट्स की सील से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह माल कई चरणों में भारत पहुंचा था. और एस्थर का फ्लैट एक स्टोरेज–क्यूम–ट्रांजिट हब के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था.

NCB की नजर अभी और बड़ी मछलियों पर

NCB के अधिकारियों का कहना है कि यह नेटवर्क सिर्फ सप्लाई–डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल से कहीं ज्यादा संगठित है. जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन अब तक के सुराग बताते हैं कि  भारत के कई शहरों में स्लीपर यूनिट्स मौजूद हैं.

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786