चंडीगढ़
हरियाणा के DGP यानी पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने थार गाड़ी चलाने वालों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने थार चालकों के तार उनकी मानसिकता से जोड़े हैं और कहा है कि जो भी इस गाड़ी को चलाता है, उसका दिमाग 'घूमा हुआ' होगा। इस दौरान उन्होंने हरियाणा पुलिस अधिकारी के बेटे के थार वाहन से हुए हादसे का भी हवाला दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस अधिकारी ने कहा, 'अब थार गाड़ी है, उसे छोड़ने का क्या मतलब है, बुलेट मोटरसाइकिल है। सारे बदमाश इन पर ही चलते हैं। जिस तरह की गाड़ी की चॉइस है, ये आपका माइंडसेट दिखाता है। थार देखिए स्टंट करेंगे। हमारे एक एसीपी का बेटा है, उसने गाड़ी चढ़ा दी। अब वह घूम रहा है कि मेरे बेटे को छोड़ दो। अरे किसके नाम से थार है। हमारे नाम से तो फिर तू ही बदमाश है।'
उन्होंने साफ कर दिया है कि दादागिरी करने वालों को पुलिस नहीं छोड़ेगी। डीजीपी ने कहा, 'अब लिस्ट निकालें पुलिस की तो कितने लोगों के पास थार होगी। जिसके पास भी थार होगी, दिमाग घूमा हुआ होगा उसका। वो एक स्टेटमेंट है। थार गाड़ी नहीं, एक स्टेटमेंट है कि हम ऐसे हैं। ठीक है फिर भुगतो। दोनों मजे थोड़ी होंगे। दादागिरी भी हो और फंसे भी न ऐसा कैसे होगा।'
पुलिस को भी निर्देश
शनिवार को सिंह ने ट्रैफिक नियमों के संबंध में उन्होंने कहा कि पुलिस को कभी अपनी शक्तियों का एकतरफा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यदि किसी वाहन चालक के पास वाहन से संबंधित चार आवश्यक दस्तावेज हैं, तो पांचवां दस्तावेज न होने पर उसे परेशान करने या चालान जारी करने की आवश्यकता नहीं है। पुलिस आम जनता को परेशान करने के लिए नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा और सहायता के लिए है।
गुरुग्राम क्षेत्र में सामान्य दुर्घटनाओं और नशे में वाहन चलाने के कारणों पर चर्चा करते हुए डीजीपी ने कहा कि पुलिस को यह स्वीकार करना चाहिए कि युवा आबादी वाले शहर में रात की जिंदगी और 'क्लबिंग' आम है।
डीजीपी ने नशे में वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जोर देकर कहा कि संबंधित प्रतिष्ठानों के साथ समन्वय किया जाए ताकि ग्राहक घर जाने के लिए कैब बुक करें या समूह के साथ जाने वाले वाहन चालक को शराब न दी जाए।









