रायपुर/कोरबा/धमतरीधमतरी DFO मयंक पाण्डेय द्वारा धमतरी वनमंडल के वाट्सएप ग्रूप में बैनर के माध्यम से भाजपा ज्वाइन करने की बधाई वाली पोस्ट वायरल होती है वहीं एक तरफ कोरबा जिले के पोंडी उपरोड़ा में पदस्थ शिक्षक को राजनीतिक पार्टी के प्रचार कार्यक्रम में शामिल होने के अखबारों में खबर छपने मात्र से निलंबित कर दिया जाता है । एक सशक्त पार्टी भाजपा के पक्ष में प्रचार करने वाले DFO मयंक पाण्डेय पर विभाग कुछ ज्यादा ही मेहरबानी दिखा रहा है ?
जबकि भाजपा इस वक्त छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से सशक्त पार्टी बनकर उभर रही है और डीएफओ द्वारा किये गए इस प्रकार की कृत्य से भाजपा को बल मिल रहा है कि एक डीएफओ और उनके अधीन कर्मचारियों का झुकाव डिएफओ के मार्गदर्शन में भाजपा की तरफ होने से कही ना कही कॉंग्रेस के लिए सरदर्द ना बन जाये। छत्तीसगढ़ में अफसर वादी हावी है साथ मे शासकीय कर्मचारियों का दबदबा छत्तीसगढ़ में बना हुआ है और ऐसे में इस प्रकार के प्रचार प्रसार से कांग्रेस को नुकसान होना तय है और जरूर होगा, यदि अभी नही संभले तो नतीजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
और इस प्रकार के मामलों को सरकार को गम्भीरता से लेना चाहिए। ताकि अफसर वादी हावी ना हो और लोकतंत्र बरकरार रह सके।
मुझें याद है इसी प्रदेश के वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव जिसमें 15 साल से राज करती बीजेपी अपने गरियाने वाले अंदाज में की हम है तो कोई नही मतलब हमारे सामने किसकी बिसात जो सरकार बना ले पर चुनाव का दिन आया भी, हुवा भी पर नतीजा बिल्कुल उलट निकला, मुझें ये भी याद है कि चुनाव के आने व होने की बीच एक साउथ इंडियन अधिकारी जिसे BJP ने बस्तर जितने भेजा था पर उस अधिकारी ने भी जनता की नब्ज जैसे धमतरी के DFO मयंक पाण्डेय ने जनता की नब्ज पकड़ी है वैसे ही नब्ज पकड़ी और सहीं समय में बीजेपी से कांग्रेस में शिफ्ट हो गए और आज उसी कारण वे छत्तीसगढ़ के प्रदेश के प्रमुख हैं।
मुझें लगता है IFS जंगल जंगल घूमते घूमते राजनीतिक हवा बहुत ही सलीके से समझ लेतें हैं, पिछले चुनाव के पूर्व घटना को पिरोने व इन सभी को मनन करने से ऐसा लग रहा है कि जनाब मयंक पाण्डेय जी भी अपने सीनियर आईएफएस के 2018 की तरह कहीं 2023 की भविष्यवाणी तो नही कर रहें हैं या वे दिल से चहतें हो कि कांग्रेस जाए और बीजेपी आए।
अब ये तो जैसे जैसे चुनाव पास आएगा तब पता चलेगा या चुनाव के बाद पता चले पर तब तक कांग्रेस के लिए बहुत देर हो चुका रहेगा ये तय हैं, पर समझ से परे है कि एक गुरु जी के प्रचार में शामिल होने के खबर से शासन सकते में आकर सेवा शर्तों का हवाला देकर निलंबन की कार्यवाही करा देतें है जबकि एक DFO के द्वारा अपने 250 लोगो को व्हाट्सएप के माध्यम से BJP के लिए प्रचार करते हुवे देखा जा सकता है इसमे किसी सबूत या जांच की भी जरूरत नही हैं।
अब देखना ये है कि भूपेश सरकार भी कहीं वही डॉ रमन सरकार वाली गलती करने जा रही है या गलत होने से पहले मामले को संभाल लेगी, उसके लिए गुरुजी हो या कोई IFS ये भूलना होगा और एक सामान कार्यवाही करना होगा नही तो …. 2018 की पुनरावृत्ति ….