पाकिस्तान की ‘स्पेस जंप’: चीन संग मिलकर अंतरिक्ष में भेजेगा अपना पहला एस्ट्रोनॉट!

इस्लामाबाद 
पाकिस्तान एक ऐसा अनोखा मुल्क है। वहां की जनता खाने-पीने को हर दाने के लिए तड़प रही है, फिर भी भारत से टक्कर लेने का जुनून सिर चढ़कर बोलता है। रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिन के उजाले में ही भारत के बराबर खड़े होने का ख्वाब बुनता है। हर मोर्चे पर भारत को पछाड़ने की ललक रखता है, मगर ये सपना महज सपना ही रह गया। अब तो अंतरिक्ष में भी भारत को ललकारने के स्वप्न संजोने लगा है। कल्पना कीजिए, वो देश जो सैटेलाइट लॉन्च के लिए भी परदेसी मदद का मुंह ताकता है, वही आज अपना अंतरिक्ष यात्री स्पेस में भेजने की कल्पना कर रहा है। ये सब तब, जब भारत का शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से कामयाबी के साथ वापस लौट चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान भी कहीं पीछे न छूट जाए, इसलिए अपना यात्री स्पेस भेजने का इरादा जमा रहा है, जिसमें चीन का सहारा ले रहा है।

दरअसल, चीन ने गुरुवार को ऐलान किया कि वो अपने अंतरिक्ष स्टेशन मिशन के दायरे में एक पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्री को छोटे सफर पर भेजेगा। चीनी सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, दो पाकिस्तानी यात्री चीनी ताइकोनॉट्स के साथ कड़ी ट्रेनिंग लेंगे, फिर एक को आने वाले मिशन के लिए 'विशेष वैज्ञानिक पेलोड विशेषज्ञ' के रूप में चुना जाएगा। ये पाकिस्तान की पहली मानव अंतरिक्ष यात्रा में शिरकत होगी, जो चीन की मानवयुक्त स्पेस एजेंसी (सीएमएसए) के सहयोग से संभव हो रही है।

बता दें कि इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी, स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमीशन (सुपार्को) ने सीएमएसए के साथ ऐतिहासिक करार पर साइन किए थे। इस समझौते के तहत पाकिस्तानी यात्रियों को चीन के स्पेस सेंटर में प्रोफेशनल ट्रेनिंग मिलेगी, ताकि वे तियांगोंग स्टेशन पर खास प्रयोगों के लिए तैयार हो सकें।

चुने गए यात्री माइक्रो-ग्रेविटी रिसर्च, बायोलॉजी, मेडिसिन, स्पेस इंजीनियरिंग, मटेरियल साइंस और एस्ट्रोनॉमी जैसे कई क्षेत्रों में वैज्ञानिक टेस्ट में हिस्सा लेंगे। तियांगोंग की हाई-टेक लैब्स में होने वाले इन प्रयोगों से हेल्थ साइंस, क्लाइमेट मॉनिटरिंग और स्पेस टेक्नोलॉजी के विकास में बड़ा योगदान मिलने की उम्मीद है।

चीन ने साफ कहा है कि तियांगोंग स्पेस स्टेशन आधुनिक लैब्स और एक्सटर्नल पेलोड एडाप्टर्स से सुसज्जित है, जो कई साइंस फील्ड्स में एक साथ रिसर्च को मुमकिन बनाता है। इस मिशन का आधिकारिक मकसद स्पेस-बेस्ड साइंस में पार्टनरशिप को मजबूत करना है, जिससे मेडिकल रिसर्च और एनवायरनमेंटल स्टडीज में इनोवेशन्स के जरिए धरती को फायदा हो।

 

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